Saturday, May 16, 2009

बंगाल में समय से पहले चुनाव की मांग



प्रभाकर मणि तिवारी
वाममोर्चा के शासन वाले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस-कांग्रेस गठबंधन को मिली भारी कामयाबी से उत्साहित तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी ने राज्य में विधानसभा चुनाव तय समय से पहले कराने की मांग कर दी है। उन्होंने कहा है कि जनता ने वाम मोर्चे के प्रति अविश्वास जताया है। वैसे, राज्य में विधानसभा चुनाव दो साल बाद होने हैं।
ममता ने एक स्थानीय बांग्ला समाचार चैनल स्टार आनंद से कहा है कि जनता ने लोकसभा चुनाव में जनादेश के जरिए वाम मोर्चे के प्रति अविश्वास जताया है और हम राज्य में जल्दी विधानसभा चुनाव चाहते हैं। राज्य की जनता को धन्यवाद देते हुए ममता ने कहा कि सीपीएम के आतंक के खिलाफ लोग जिस तरह लड़े और मतदान किया, उसके लिए मैं उन्हें सलामी देती हूं। हम अपनी जीत जनता को समर्पित करते हैं।
वामपंथी दलों को उनके गढ़ पश्चिम बंगाल में धराशाई करने का ममता बनर्जी का सपना आखिरकार पूरा हो गया।
बीते लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 35 पर वाम मोर्चे का कब्जा था जबकि इस बार उसे 15 सीटों से संतोष करना पड़ा है। कांग्रेस पार्टी से 1970 के दशक में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली तेजतर्रार नेता ममता बनर्जी 1984 में यादवपुर लोकसभा क्षेत्र से दिग्गज वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर सबसे कम उम्र की सांसद बनी थीं। वर्ष 1889 में कांग्रेस विरोधी लहर में चुनाव हारने वाली बनर्जी कोलकाता दक्षिण सीट संसदीय सीट से पिछले चार बार से लगातार सांसद रही हैं। वर्ष 1991 में नरसिंहराव सरकार में वह पहली बार मंत्री बनी। उन्होंने वर्ष 1997 में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस नाम की नई पार्टी बनाई, लेकिन 1999 में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में शामिल हो गई और रेल मंत्री बनी।
वर्ष 2001 में उनका भाजपा से मोहभंग हो गया और राजग से बाहर होकर फिर कांग्रेस में शामिल हो गई। वर्ष 2004 में वह कोयला मंत्री बनी। पश्चिम बंगाल के सिंगुर में टाटा की नैनो कार परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण तथा नंदीग्राम में केमिकल हब बनाने के मुद्दे को लेकर उन्होंने माकपा की अगुवाई वाली वाममोर्चा सरकार के खिलाफ जबर्दस्त अभियान शुरू किया जिससे टाटा को वहां से बोरिया-बिस्तर समेटकर जाना पड़ा। समझा जाता है कि इसी मुद्दे के चलते राज्य में वामपंथी दलों को नुकसान हुआ है।
क्या तृणमूल संप्रग के प्रमुख घटक दल के तौर पर उभरेगा और केंद्र सरकार में कुछ अच्छे मंत्रालय उसे मिलेंगे तो उन्होंने कहा कि मतगणना अभी पूरी नहीं हुई है। ममता ने कहा पहले हमारे नवनिर्वाचित सांसदों को आने दें। हम बैठेंगे और बातचीत करेंगे। मैं पहले ही कह चुकी हूं कि हम भाजपा के साथ नहीं जायेंगे और दिल्ली में धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाने के लिए काम करेंगे। ममता बनर्जी ने पहले चरण के मतदान में माकपा पर आतंक फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने लोगों से लाल आतंक को रोकने का अनुरोध किया था जिस पर जनता ने प्रतिक्रिया दी और वाम मोर्चे के खिलाफ मतदान किया।
उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को शांति बनाये रखने की अपील की और कहा हम शांति चाहते हैं। हम जवाब नहीं देंगे। इसके साथ ही हम मार्क्सवादियों से आतंक और हिंसा में शामिल नहीं होने के लिए भी कहेंगे। ममता का आरोप था कि चुनावों के दौरान माकपाइयों ने तृणमूल के लगभग 15 कार्यकर्ताओं की हत्याएं कर दीं। राज्य के विकास पर उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस चाहती थी कि कृषि और उद्योग एक साथ विकसित हों। उन्होंने कहा कि हम राज्य के विकास के लिए काम करेंगे, लेकिन जनता की भागीदारी के बिना विकास संभव नहीं है। ममता का कहना था कि वे उद्योगों के खिलाफ नहीं हैं। हमने यह भी कहा था कि नैनो परियोजना सिंगुर में 600 एकड़ में आनी चाहिए और बाकी चार सौ एकड़ जमीन किसानों को लौटा दी जानी चाहिए। लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं मानी।

2 comments:

  1. प्रभाकर जी,
    हिन्दी में यह ब्लाग आरम्भ करने पर आपका स्वागत है। आशा है यह ब्लाग पूर्वोत्तर भारत पर अपनी पैनी दृष्टि के द्वारा हिन्दी-चिट्ठाकारी में विशेष स्थान प्राप्त करेगा।

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  2. आप समता वादी समाज के इकलौते ठेकेदारों ‘मार्क्स’ सम्प्रदाय के कामों का सही आँकलन नहीं कर रहे हैं। दर अस्ल पूरी दुनिया में इनकी सरकार जब तक नहीं बनती इनकी क्रांति पूरी नहीं होगी। पिछले १५० सालों में करोड़ों लोग को खूनी क्रान्ति से निपटानें के बाद भी साम्यवाद स्थापित नहीं कर पाये। प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी रहनें वाले बंगाल को ३२ साल में नरक बना के रख दिया,इन लफ्फाजों नें।

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