Sunday, May 31, 2009
अब घर-घर से बिकेगी बिजली !
पश्चिम बंगाल में अब आम लोग भी बिजली बेच सकते हैं. यह सुन कर चौंकना स्वाभाविक है. लेकिन यह सच है कि राज्य के लोग अब बिजली बेच कर कुछ अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. सरकार की एक योजना के तहत अब राज्य के लोग अपने घरों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगा कर उससे अपनी जरूरत के बाद बचने वाली बिजली सरकारी या निजी बिजली कंपनियों को बेच सकते हैं. वह भी साढ़े बारह रुपए प्रति यूनिट की ऊंची दर पर. पश्चिम बंगाल बिजली नियमन आयोग ने इसका एलान किया है. पश्चिम बंगाल देश का पहला राज्य है जिसने अपने वाशिंदों को सौर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली राज्य के बिजली नेटवर्क यानी स्टेट ग्रिड को बेचने की अनुमति दी है.
इस योजना के तहत राज्य में होटल और अस्पताल चलाने वाले लोग या आवासीय परिसर में रहने वाले अपनी छत पर सौर ऊर्जा के उपकरण लगा कर अपनी बिजली का बिल तो बचा ही सकते हैं, अच्छी-खासी रकम भी कमा सकते हैं. नियमन आयोग ने राज्य में बिजली के दो सप्लायरों कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी (सीईएससी) और पश्चिम बंगाल राज्य बिजली वितरण कंपनी (पहले राज्य बिजली बोर्ड) को 2012 तक कम से कम 10 फीसदी ऐसी बिजली खरीदने का निर्देश दिया है जो गैर-परंपरागत स्त्रोतों से बनी हो. ऐसा नहीं करने की हालत में उनको जुर्माना भरना होगा. आयोग ही राज्य में बिजली की दरें तय करता है. उसने हाल ही में सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली की नई दर का एलान किया है.
इस एलान के बाद अब राजधानी कोलकाता समेत आसपास के इलाकों में सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाले उपकरणों की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है. हालांकि लोगों को अब भी इसमें पूरा भरोसा नहीं है. लेकिन कोलकाता के सूचना तकनीक क्षेत्र साल्टलेक व सुंदरबन इलाके में बड़े पैमाने पर इससे बनी बिजली का इस्तेमाल हो रहा है. साल्टलेक में तो सौर ऊर्जा से सड़कों पर जलने वाली स्ट्रीट लाइट अब आम है. उत्तर 24-परगना जिले के अशोक नगर इलाके के रतन बसाक ने इसी सप्ताह ऐसा उपकरण खरीदा है. वे एक छोटा छात्रावास चलाते हैं. बसाक कहते हैं कि ‘यह चीज तो नई है. लेकिन इससे हर महीने बिजली के बिल में काफी बचत होगी. इसलिए मैंने कुछ कर्ज लेकर यह उपकरण खरीदा है.’ वे कहते हैं कि ‘फिलहाल हम सरकार से चार रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदते हैं. लेकिन अब अब अगर सौर ऊर्जा से बनी अतिरिक्त बिजली बेचें तो हमें साढ़े बारह रुपए प्रति यूनिट की दर से पैसे मिलेंगे.’
महानगर में ऐसे उपकरण बेचने वाले एक दुकानदार का कहना है कि ‘पहले कभी महीने में एकाध ग्राहक आते थे. लेकिन अब लोग रोजाना आते हैं. कभी इसकी कीमत का पता लगाने तो कभी उपकरण खरीदने. अब बिक्री भी पहले के मुकाबले बढ़ गई है.’
राज्य बिजली विभाग में विशेष सचिव एस.पी.जी.चौधुरी कहते हैं कि ‘यह एक क्रांतिकारी फैसला है. इससे राज्य में सौर ऊर्जा से बिजली बनाने और इसके लिए जरूरी उपकरण बनाने के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित होने की भी उम्मीद है. उपकरण निर्माताओं के आने के बाद सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाले उपकरणों की कीमतें भी घटेंगी.’ राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ का निवेश होने की संभावना है. इनमें से चार सौ करोड़ 10 मेगावाट क्षमता वाले एक सौर ऊर्जा संयंत्र पर खर्च होंगे और बाकी उपकरणों के निर्माण पर. रिलायंस, एस्टॉनफील्ड और श्रेयी समूह ने सौर ऊर्जा से बिजली बनाने में दिलचस्पी दिखाई है.
वेस्ट बंगाल रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (वेबरेडा) ने भी रवि रश्मि नामक एक परियोजना शुरू की है. इसके तहत 25 घरों और एक सामुदायिक केंद्र को सौर ऊर्जा से बनी बिजली मुहैया कराई जाएगी. अतिरिक्त बिजली स्टेट ग्रिड को बेच दी जाएगी. चौधरी, जो वेबरेडा के निदेशक भी हैं, बताते हैं कि ‘बिजली नियमन आयोग ने 2012 तक के लिए साढ़े बारह रुपए प्रति यूनिट की दर तय कर दी है. अब उम्मीद है कि दूसरे राज्य भी इस रास्ते पर चलेंगे.’ वे कहते हैं कि ‘सौर ऊर्जा से बनी अतिरिक्त बिजली स्टेट ग्रिड को सप्लाई करने के लिए एक खास मीटर बनाए गए हैं. इसी के आधार पर बिजलीकी कीमत का भुगतान किया जाएगा.’ उनको उम्मीद है कि लोग इस तरीके से बनने वाली बिजली में दिलचस्पी लेंगे. इससे खासकर उन इलाकों के लोगों को काफी सहायता मिलेगी जहां बिजली की सप्लाई अनियमित है. राज्य बिजली आयोग के ताजा फैसले और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में होने वाले निवेश को ध्यान में रखें तो जल्दी ही राज्य में हर दूसरा आदमी सरकार को बिजली बेचता नजर आएगा.
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