Friday, May 29, 2009
कड़वी हो रही है चाय की चुस्की
इस साल उत्पादन में गिरावट के चलते चाय की रंगत फीकी पड़ने लगी है। मांग और आपूर्ति में बढ़ते अंतर की वजह से हाल में चाय की कीमतों में 20 से 40 रुपए तक का उछाल आया है। नतीजतन आम लोगों की चाय की चुस्की लगातार कड़वी होने लगी है। चाय उद्योग के सूत्रों की मानें तो अभी कीमतें और चढ़ने के आसार हैं।
कोलकाता में चाय उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस साल जनवरी से अप्रैल तक देश में चाय की फसल के उत्पादन में 150 से 180 लाख किलोग्राम तक की गिरावट दर्ज की गई है जबकि मार्च तक कुल गिरावट 81 लाख किलोग्राम ही थी। इस तरह से देश में चालू अनुमानित घाटा 250 लाख किलोग्राम रहने का अनुमान है। वैसे, पैकेट चाय बनाने वालों पर इसका असर मई के बाद पता चलेगा क्योंकि उनके पास अगले दो महीने के लिए भंडार मौजूद हैं।
उत्तर बंगाल के चाय उत्पादक क्षेत्रों में बारिश में देरी के चलते कोलकाता, गुवाहाटी और सिलीगुड़ी के चाय नीलामी केंद्रों को मजबूरन चाय की खरीद कीमतों में इजाफा करना पड़ा है। चाय की कीमतों में ऐसी तेजी लगभग सात साल बाद दर्ज की जा रही है।
टी एसोसिएशन आफ इंडिया (टाई) की डुआर्स शाखा के एक प्रवक्ता कहते हैं कि डुआर्स व तराई इलाके सूखे की चपेट में रहे। उत्तर बंगाल में अप्रैल के आखिर तक चाय की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। मई महीने में बारिश कम होने की वजह से इस महीने भी उत्पादन में गिरावट का अंदेशा है। यही वजह है कि यहां चाय की खरीद कीमत में 30 रुपये प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है। जनवरी-मार्च के दौरान चाय की औसत बोली मूल्य 81.89 रुपये प्रति किलो रही, जो बीते साल की इसी अवधि के मुकाबले लगभग 17 फीसद ज्यादा है। चाय उद्योग से जुड़े सूत्रों ने अगले कुछ महीनों के दौरान कीमतों में गिरावट की उम्मीद जताई है। इंडियन टी प्लांटर्स एसोसिएशन के सूत्रों का कहना है कि अगर जुलाई से अक्टूबर के बीच चाय उत्पादन बढ़ता है तो कीमतों में कुछ स्थिरता आ सकती है। तब चाय की कीमत में पांच रुपए प्रति किलो की गिरावट आ सकती है।
अब चाय उद्योग आगे चल कर भले कीमतें कम होने की संभावना जताए, फिलहाल तो चाय की चुस्की कड़वी बने रहने के ही आसार हैं।
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