Monday, May 18, 2009
एक छोटे राज्य का अनूठा रिकार्ड
पश्चिम बंगाल से सटे छोटे-से लेकिन खूबसूरत पर्वतीय राज्य सिक्किम में जब नवगठित विधानसभा की बैठक शुरू होगी तो सदन में विपक्ष की दीर्घा पूरी तरह खाली होगी. नहीं, विपक्ष ने सदन की कार्यवाही के बायकाट का फैसला नहीं किया है. दरअसल, अबकी राज्य में विपक्ष है ही नहीं. यहां विधानसभा की 32 सीटें हैं और लोकसभा की एक. मुख्यमंत्री चामलिंग की अगुवाई वाले एसडीएफ ने इस बार इन सभी सीटों पर कब्जा कर लिया है. सिक्किम में बीते डेढ़ दशक से सत्ता में रहे सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) और उसके प्रमुख पवन कुमार चामलिंग ने अबकी एक ऐसी मिसाल कायम की है जिसकी कहीं कोई चर्चा ही नहीं हो रही है. दरअसल, पूरे देश में कांग्रेस और उसकी अगुवाई वाले यूपीए को मिली सीटों तले यह रिकार्ड दब-सा गया है पिछले चुनाव में विपक्षी कांग्रेस को एक सीट मिली थी. लेकिन इस बार उसका सूपड़ा साफ हो गया है. पूरे देश में लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस की जबरदस्त लहर और सत्ताविरोधी रुझान का इस छोटे से पर्वतीय राज्य पर कोई असर नहीं पड़ा है. राज्य में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही कराए गए थे. पूरे देश में जीत का डंका बजाने वाली कांग्रेस का इस बार कोई नामलेवा तक नहीं बचा है. बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी ने एक सीट जीती थी. लेकिन इस बार उनका पत्ता भी साफ हो गया.
राज्य की सभी सीटें जीत कर चामलिंग चौथी बार सत्ता में लौटे हैं. इस छोटे से राज्य में कांग्रेस की वापसी सपना देख रहे भंडारी ने इसके लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को भी गंगटोक बुलाया था. लेकिन यहां राहुल का जादू भी नहीं चला. वैसे, 32 सीटों पर 20 नए चेहरों को उतार कर मुख्यमंत्री चामलिंग ने सत्ताविरोधी रुझान की काट पहले ही तैयार कर ली थी. उनकी यह रणनीति पूरी तरह कामयाब रही.
सत्ता में लौटने का सपना देख रही कांग्रेस का खाता तो बंद हुआ ही है, भाजपा, माकपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और सिक्किम गोरखा प्रजातांत्रिक पार्टी, सिक्किम नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी, सिक्किम हिमाली राज्य परिषद और सिक्किम जन एकता पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों की तो जमानत तक जब्त हो गई है. राज्य की इकलौती लोकसभा सीट पर भी एसडीएफ के पीडी राई जीत गए. इस लोकसभा निर्वाचन सीट के लिए और 32 विधानसभा सीटों के लिए 161 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे.
मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग कहते हैं कि ‘यह जनता की जीत है. लोगों ने एसडीएफ सरकार की नीतियों के प्रति भरोसा जताया है.’ लेकिन विपक्ष के नहीं होने से सरकार कहीं निरंकुश तो नहीं हो जाएगी? चामलिंग कहते हैं कि ‘ऐसा नहीं है. पिछली बार भी विपक्ष के पास एक ही सीट थी. हम चाहते तो मनमानी कर सकते थे. वैसी सूरत में जनता ही हमें खारिज कर देती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसी से साफ है कि सरकार ने हमेशा राज्य और लोगों के हितों को प्राथमिकता दी है.’ चामलिंग दो सीटों नामची-सिंगथांग और पोकलोक-कामरांग से मैदान में थे और दोनों जगह जीत गए.
दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नर बहादुर भंडारी मानते हैं कि नतीजे अप्रत्याशित रहे हैं. लेकिन वे इस हार की कोई वजह बताने के तैयार नहीं हैं. वे कहते हैं कि ‘पार्टी हार की वजहों की समीक्षा करेगी.’ भंडारी ने भी दो विधानसभा सीटों---खामदोंग-सिंगताम और सोरेंग से चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें दोनों जगह मुंहकी खानी पड़ी.
चामलिंग कहते हैं कि वोटरों ने सिक्किम और उसके लोगों के हितों की रक्षा के लिए चौथी बार मुझे सत्ता सौंपी है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि चामलिंग ने 15 साल के कार्यकाल के बाद राज्य में कांग्रेस की लहर और सत्ताविरोधी रुझान पर अंकुश लगा कर वह काम कर दिखाया है जो पड़ोसी पश्चिम बंगाल में वामपंथी भी नहीं कर सके. सत्ता में 32 साल बिताने के बावजूद.
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सिक्किम के विकास या वहाँ की जनता की भावनाओं के अनुरूप भले ही यह परिणाम हों किन्तु लोकतंत्र के हित में विपक्ष की तो अनिवार्यता रहेगी। यह किसी पल रहे रोग का लक्ष्ण तो नहीं?
ReplyDeleteजनमत है-कब क्या दिखा दे!!
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