पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों में करारी हार ने वामपंथियों का गुरूर तोड़ दिया है। अब चिड़िया के खेत चुगने के बाद वामपंथी अपनी गलती तो कबूल कर ही रहे हैं, मोर्चा के घटक दल इस हार के लिए माकपा व राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने अभ जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है। नतीजतन तमाम लंबित परियोजनाएं ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं।
लोकसभा चुनाव में मिली हार को अब सरकार के अपने मंत्री भी बेबाकी से कबूलने लगे हैं। भाकपा नेता और जल संसाधन मंत्री नंद गोपाल भट्टाचार्य कहते हैं कि पार्टी नेताओं के घमंड और बेलगाम भ्रष्टाचार की वजह से ही यह हार हुई है। राज्य सचिवालय में कैबिनेट की बैठक के बाद भट्टाचार्य ने कहा कि घमंड ने हमारी नाकामी साबित कर दी। लोग मानने लगे थे कि नेतृत्व में ही काफी भ्रष्टाचार है। हमारे घमंडी व्यवहार के बदले लोगों ने हमारे खिलाफ वोट डाले।
भट्टाचार्य मानते हैं कि वामपंथियों ने तो जनता का सम्मान करना ही छोड़ दिया था। आम आदमी से इंसान की तरह व्यवहार नहीं किया गया। यह तमाम चीजें आम आदमी के दिमाग में घर कर गईं और हम अलग-थलग पड़ गए। भट्टाचार्य ने कहा कि वाममोर्चा के सभी घटकों को अब आम जनता के बीच जाकर खोए हुए समर्थन को दोबारा हासिल करना होगा।
ध्यान रहे कि 1977 से सत्ता में होने के बावजूद वाममोर्चा ने इस बार लोकसभा चुनाव में काफी सीटें गंवा दी हैं। राज्य की 42 सीटों में से उसके खाते में महज 15 सीटें आई हैं। जबकि मुख्य विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई है। यही नहीं तृणमूल की सहयोगी पाटिर्यों कांग्रेस को 6 और सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया को एक सीट हासिल हुई है।
इस करारी हार ने औद्योगिकीकरण का राह पर तेजी से बढ़ रही पश्चिम बंगाल सरकार की सोच भी बदल दी है। चुनावी नतीजों के बाद केबिनेट की पहली बैठक में बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण के तमाम कार्यक्रमों को जल्द ही रोकने औद्योगीकरण की नीति ठंडे बस्ते में डालने का संकेत दिया।
नंदीग्राम और सिंगुर से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री ने खड़गपुर सिटी सेंटर का प्रस्ताव वापस ले लिया और राज्य मंत्रिमंडल ने भूमि का मानचित्र तैयार करने और जमीन का भंडार इकट्ठा करने की संवेदनशील जिम्मेदारी उद्योग मंत्रालय के हाथ से लेकर भूमि सुधार विभाग को सौंप दी। यह फैसला ऐसे मौके पर किया गया है जब माकपा प्रदेश में लोकसभा चुनावों में करारी हार की वजहों पर आतत्ममंथन के दौर से गुज रही है और उसे सहयोगी दलों की आलोचना भी झेलनी पड़ रही है। केबिनेट की बैठक में तय किया गया कि 2011 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भट्टाचार्य अगले दो सालों में सरकार की भावी कार्ययोजना पर एक विस्तृत नोट तैयार करेंगे। बहरहाल सरकार प्रदेश में उन सभी औद्योगिक परियोजनाओं पर काम जारी रखेगी जिनके लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री किसान समर्थक रुख अपना सकते हैं ताकि ग्रामीण मतदाताओं को आकर्षित किया जा सके। औद्योगिक परियोजनाओं के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण पर मुख्यमंत्री को वाम मोर्चा के सहयोगी दलों की तीखी आलोचना का शिकार बनना पड़ा है।
फिलहाल वाममोर्चे के सामने सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा की 11 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की है। 11 विधायकों के सांसद चुने जाने की वजह से जल्दी ही यहां उपचुनाव होने हैं।
Saturday, May 23, 2009
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sriman ji,
ReplyDeletecommunist hone ka arth yah hota hai ki vah janta ka samman kare lekin janta mein bicholiye jamakhor,milavat karne vale log bhi hote hai unka daman bhi avashyak hai pashchim bangal mein hui haar ka arth hai american samrajyvaad ki vijay chunaav se poorv american samrajyvadi shaktiyaa poori tarah se vampanthiyo ko nestnaboot karne k liye lagi hui thi poore chunaav mein print media electronic media Internet ,sanghiyo k stambhkaar vam block k khilaaf bahut saar dusprachaar kar rahe the jhooti sacchi kahaniya gadh rahe the communisto ki sabse badi galti yah thi UPA sarkaar ko samarthan dena us sarkaar ka mukhiya america k naukar k tarike se kary kar raha tha aur aage karega poore desh mein 42 % vote pade hai alpmat ki sarkar hai .
suman
loksangharsh.blogspot.com