Friday, October 14, 2011

शाही शादी में भूटानी हुए दीवाने


बेगानी शादी में अब्दुल्ला के दीवाना होने की कहावत सबने सुनी ही होगी. लेकिन यह तो न तो बेगानी शादी थी और न ही दीवाना होने वाले लोग अब्दुल्ला थे.यह शादी उनके अपने राजा की थी. पूरे देश में युवकों की एक पूरी पीढ़ी ऐसी है जिन्होंने अपने जीवन में कभी कोई शाही शादी नहीं देखी. उनके लिए तो यह नजारा किसी उत्सव से कम नहीं था.
यूरोपीय देशों के बाद अब हिमालय की गोद में बसे एशियाई देश भूटान के लोगों ने भी इस सप्ताह शाही शादी का नजारा देखा. बौद्ध रीति-रिवाजों के मुताबिक हुई शादी को देखने के लिए भूटान ही नहीं बल्कि भारत से भी भारी तादाद में लोग पहुंचे थे. यूरोप में होने वाली शाही शादियों के विपरीत इस शादी की खास बात यह रही कि इसमें किसी भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को नहीं न्योता गया था. दुनिया के सबसे नन्हे लोकतंत्र भूटान के सबसे कम उम्र के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक और भारत में पली-बढ़ी और पढ़ी जेटसन पेमा की शाही शादी का गवाह बनने के लिए खराब मौसम के बावजूद देश के कोने-कोने से लगभग एक लाख लोग पहुंचे थे.
विवाह समारोह राजधानी थिंपू से लगभग 70 किलोमीटर दूर पुनाखा शहर में 17वीं सदी में बने एक किले में संपन्न हुआ. 1955 में राजधानी के थिम्पू जाने से पहले तक यह शहर ही सत्ता का केंद्र था. शाही परिवार में यहीं शादी करने की परंपरा है. पुनाखा के रॉयल लिंका मैदान में भूटान के विभिन्न समुदायों के कलाकारों ने शाही विवाह के उपलक्ष्य में पारंपरिक नृत्य पेश किए. इसके बाद राजा व रानी उपस्थित जनता के समक्ष आए और उसे आशीर्वाद दिया. विवाह समारोह के सिलसिले में भूटान की सेना, पुलिस और रॉयल बॉडीगार्ड की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. विवाह के दौरान भूटान की मोबाइल सेवाओं को बंद कर दिया गया था. यहां तक कि निजी वाहनों की आवाजाही पर भी रोक थी.
भूटान में गुरुवार सुबह शाही विवाह का समारोह शुरू होने से पहले ही इस जोड़े को भारत की ओर से शुभकामनाएं दी गईं. भूटान नरेश की दुल्हन के पुराने स्कूल की एक शिक्षिका ने भूटान में विवाह समारोह शुरू होने से पहले ही अपनी पूर्व छात्रा को शुभकामनाएं दीं. जेटसन पेमा के यहां के कसौली हिल्स स्थित आवासीय लारेंस स्कूल में पढ़ती थीं। उस दौरान नीलम ताहलन उनकी हाउस मिस्ट्रेस थीं. इस शाही शादी में मानो समूचा भूटान झूम रहा था. एक छात्र के.नामग्याल कहता है कि मैं राजा और रानी को नजदीक से देखना चाहता था.
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़े भूटान नरेश वांगचुक और पेमा बचपन से ही दोस्त थे. नरेश महज 17 साल की उम्र में ही पेमा को अपना दिल दे बैठे थे. बरसों पुराना यह प्यार अब सात जन्मों के बंधन में बदल गया है. इस अवसर पर दोनों बेहद खुश थे. लोगों को लंबे अरसे से इस शाही शादी का इंतजार था. राजधानी थिम्पू के एक स्कूल शिक्षक डी. वाग्दी इस शादी को देखने के लिए दो दिन पहले ही पुनाखा पहुंच गए थे. वे कहते हैं कि भूटान में अब अगले 20-25 वर्षों तक ऐसा कोई समारोह नहीं आयोजित होगा. मैं यह मौका चूकना नहीं चाहता था.
राजसी विवाह को यहां के करीब सात लाख लोगों ने अपने घरों में टेलीविजन पर देखा. इसका ‘भूटान ब्राडकास्टिंग सर्विस टीवी’ पर सीधा प्रसारण किया गया. विवाह भूटानी बौद्ध परंपराओं के अनुसार हुआ. शाही शादी सुबह चार बजे ब्रह्म मुहुर्त में 100 बौद्ध भिक्षुओं की विशेष प्रार्थना के साथ आरंभ हुई. प्रार्थना मुख्य बौद्ध पुरोहित जे. खेनपो की देखरेख में हुई. इसके बाद वांगचुक और पेमा को पति-पत्नी घोषित कर दिया गया. शादी की रस्में पूरी होने के बाद दोनों बौद्ध मठ में खास तौर पर सजे कक्ष में कैमरे के सामने आए. शादी के बाद नरेश और महारानी ने किले के बाहर एक मैदान में जमा हजारों लोगों के साथ मिलकर नृत्य किया और अपनी शादी की खुशियां उनके साथ बांटी.

विवाह की कई रस्में संपन्न होने के बाद 31 वर्षीय नरेश वांगचुक ने पीले रंग के जैकेट और स्कर्ट में सजी पेमा को मुकुट पहनाया. इसके बाद पेमा आधिकारिक तौर पर भूटान की महारानी घोषित कर दी गईं. भूटान की राजसी परंपराओं के अनुसार महारानी पेमा ने नरेश वांगचुक को तीन बार साष्टांग प्रणाम किया। इस रस्म के बाद दोनों को एक पेय दिया गया. मान्यताओं के अनुसार यह नवविवाहित जोड़े की दीर्घायु के लिए दिया जाता है. नरेश की शादी के जश्न में भूटान में भारत के राजदूत पवन के. वर्मा, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम. के. नारायणन और राज परिवार के सदस्यों समेत लगभग 300 मेहमानों ने हिस्सा लिया.
शादी के जश्न में आए लोगों को भूटान की 20 घाटियों से आए 60 बेहतरीन रसोईयों के हाथों का बना हुआ पारंपरिक भूटानी भोजन परोसा गया. इस शाही दावत में कुछ भारतीय पकवान भी शामिल किए गए थे. शाही शादी का गवाह बनने के लिए सौ किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचे नामगे दोर्जी और उनके घरवाले बेहद खुश थे. इस शादी के मौके पर भूटान डाक विभाग ने नवविवाहित दंपती की तस्वीर वाले 60 हजार खास डाक टिकट छापे हैं. इसी तरह भूटान मुद्रा प्राधिकरण ने नई करेंसी और चांदी के सिक्के तैयार किए हैं. चांदी के सिक्के पांच हजार रुपए में बिक रहे हैं जबकि डाक टिकटों की कीमत 25 से 225 रुपए के बीच है.