Sunday, June 7, 2009

बंगाल में नंदीग्राम की तर्ज पर फिर बर्चस्व की लड़ाई

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर राजनीतिक बर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है। माकपा ने इस चुनाव में मुंहकी खाने के बाद राज्य के विभिन्न जिलों में अपनी खोई जमीन हासिल करने के लिए नंदीग्राम की तर्ज पर बर्चस्व और पुनर्दखल की लड़ाई शुरू कर दी है। चुनावी नतीजों के बाद होने वाली हिंसक घटनाओं में एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यह आग बुझने की बजाय लगातार धधकती जा रही है। चुनावी नतीजों के एक सप्ताह बाद ही राज्य के आइला की चपेट में आने की वजह से इन झड़पों को वैसी सुर्खियां तो नहीं मिली, लेकिन जिलों में हालत गंभीर है। माकपा और तृणमूल समर्थकों के अलावा विभिन्न कालेजों में माकपा और तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध छात्र यूनियनों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। राज्य के गृह सचिव अर्द्धेंदु सेन ने भी माना है कि लोकसभा चुनाव के बाद बदले राजनीतिक समीकरणों की वजह से संघर्ष बढ़ रहा है। मरने वालों में तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों की तादाद ही ज्यादा है।
मुर्शिदाबाद जिले के डोमकल इलाके में तो माकपा व कांग्रेस समर्थकों के बीच चुनाव के बाद से लगातार होने वाली हिंसक झड़पों से परेशान जिला पुलिस प्रशासन ने 20 जून तक धारा 144 लागू कर दी है। पंचायत चुनावों से ही डोमकल में कांग्रेस व माकपा समर्थकों के बीच अक्सर झड़पें होती रहीं जो लोकसभा चुनाव के बाद और तेज हो गई। बीते तीन दिनों में डोमकल में संघर्ष की चार वारदातें हुई, जिसमें कई लोग जख्मी हो गए। इन घटनाओं के लिए माकपा और कांग्रेस के नेता एक दूसरे को जिम्मेवार ठहराते रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद हताश माकपा समर्थक हमले कर रहे हैं। वहीं माकपा नेताओं का आरोप है कि जीत के बाद कांग्रेस समर्थक माकपा समर्थकों पर हमला कर रहे हैं और घर जला रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में चुनाव बाद की स्थितियों को बहद खराब बताते हुए रेल मंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि माकपा को नंदीग्राम और सिंगुर की घटनाओं से सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी अपने खोए जनाधार को आतंक के सहारे वापस नहीं पा सकती। तृणमूल प्रमुख ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी खराब हुई है। टकराव रोकने के लिए ही हमने अपने कार्यकर्ताओं को विजय जुलूस निकालने से मना कर दिया था। ममता का आरोप है कि माकपा काडरों ने पूरे राज्य में आतंक फैला रखा है इसमें हमारे 22 कार्यकर्ता मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि माकपा सोचती है कि वह आतंक के सहारे अपना खोया जनाधार हासिल कर लेगी। लेकिन उसे नंदीग्राम और सिंगुर से सबक लेना चाहिए कि ऐसा नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर, माकपा के प्रदेश नेताओं ने इस हिंसा के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया है। पार्टी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में जीत के बाद पार्टी के कार्यकर्ता चुन-चुन कर माकपाइयों पर हमले कर रहे हैं और उनके घरों को जला रहे हैं।
ममता ने कहा है कि माकपा ने बीते सात-आठ दिनों में अत्याचार और हमले बढ़ा दिए हैं। खानकुल के तृणमूल कांग्रेस नेता युधिष्ठिर दलुई की हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दलुई के हाथ- पैर काट डाले गए, उनके घर में आग लगा दी गई और घर की महिलाओं पर अत्याचार किया गया। उन्होंने कहा कि चुनावों के एलान के तुरंत बाद अगर ऐसी घटनाएं होतीं तो इसके लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया जाता। लोकसभा चुनावों के नतीजे ने वामपंथियों की नींद उड़ा दी है। तृणमूल कांग्रेस सांसद मुकुल राय का आरोप है कि माकपा काडरों ने उन लोगों की एक सूची बना ली है जो चुनाव में माकपा के खिलाफ थे। इस सूची में शामिल जान्हवी मंडल की दो दिन पहले कुछ लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। मंडल उत्तर 24-परगना के गोपालपुर का वाशिंदा था। वह तृणमूल का मतदान एजंट था। इस घटना के एक दिन पहले ही तृणमूल समर्थक युद्धिष्ठिर दलुई को जिन्दा जला दिया गया। हमलावरों ने पहले उसे चाकू मारा, फिर बम फेंका। इसके बाद उसे घर में बंद कर आग लगा दी। यही नहीं, उसके भाइयों के घरों में भी आग लगा दी गई।
दलुई के भाई तरुण कहते हैं कि हम लोगों का अपराध यह है कि हम तृणमूल कांग्रेस समर्थक हैं। इसलिए हमारे घरों को जला दिया गया। उनका आरोप है कि माकपाइयों ने इलाके में अपनी दहशत कायम करने के लिए ही हिंसा का रास्ता अख्तियार किया है। अब तो दोनों पार्टियों की लड़ाई से छात्र संगठन भी अछूते नहीं रहे। लगभग रोज ही किसी न किसी कालेज में माकपा व तृणमूल से संबद्ध छात्र संगठनों के बीच टकराव की खबरें आ रही हैं। यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि दरअसल विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ही नंदीग्राम की तर्ज पर बर्चस्व और पुनर्दखल की यह लड़ाई शुरू हुई है। माकपा लोकसभा की हार को विधानसभा में नहीं दोहराना चाहती। यही वजह है कि वह इलाके में आतंक फैला कर अपना खोया जनाधार हासिल करने का प्रयास कर रही है।

1 comment:

  1. pragatisheel shabd bhi astha aur shraddha ki tarah khatarnak hai...iski aad men bhi najayaz jayaz thahraya jata hai ...wampanthi pragatiwadi hi to hain...

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