Wednesday, June 10, 2009

सितारा चमकाने के लिए ममता को सितारों का सहारा

कोलकाता, 15 मार्च। पशचिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को सिर्फ कांग्रेस के साथ तालमेल से ही संतोष नहीं है। इस लोकसभा चुनाव में अपने सितारे चमकाने के लिए वे सितारों के सहारे मैदान में उतरी हैं। वैसे, सितारों की सहारा लेना उनकी फितरत रही है। बीते विधानसभा चुनावों में उन्होंने जाने-माने बांग्ला अभिनेता तापस पाल को चुनाव लड़ाया और जिताया था। पाल के अलावा ममता ने माधवी मुखर्जी और नयना दास जैसी अभिनेत्रियों को भी टिकट दिया था। इस बार उन्होंने तापस पाल को तो मैदान में उतारा ही है, जानी-मानी बांग्ला अभिनेत्री शताब्दी राय और गायक कबीर सुमन को भी चुनाव मैदान में खड़ा कर दिया है। ममता ने अपर्णा सेन और पेंटर शुभप्रसन्न को भी टिकट देने की पेशकश की थी। लेकिन बात नहीं बनी।
दरअसल, दो साल पहले नंदीग्राम में पुलिस फायरिंग के खिलाफ ममता के साथ सड़क पर उतरने वालों में बुद्धिजीवियों, कलाकारों और गायकों का एक बड़ा तबका शामिल था। उसके बाद ममता से इन सबकी नजदीकियां बढ़ीं। उन्होंने शताब्दी राय को बीरभूम संसदीय सीट से मैदान में उतारा है। राय ने तारापीठ में दर्शन-पूजन के बाद अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया है। शताब्दी का कहना है कि वे एक व्यक्ति व नेता के तौर पर ममता की इज्जत करती हैं। ममता राज्य के लोगों के जीवन में बदलाव का प्रयास कर रही हैं। इसलिए उन्होंने जब लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुरोध किया तो वेइंकार नहीं कर सकीं। शताब्दी कहती हैं कि वे लोकप्रियता हासिल करने के लिए चुनाव नहीं लड़ रही हैं। एक अभिनेत्री के तौर पर यह तो मुझे पहले से ही हासिल है। अब अपनी इस लोकप्रियता को मैं आम लोगों के हित में इस्तेमाल करना चाहती हूं।
गायक कबीर सुमन ने भी ममता के अनुरोध पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। वे कहते हैं कि चुनाव जीत कर अब राज्य में बदलाव का प्रयास करेंगे। विधायक तापस पाल भी कृष्णनगर सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। फिल्म निर्माता अपर्णा सेन को भी तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाली इस निर्देशिका ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अपर्णा ने साफ कह दिया कि सक्रिय राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।
सिंगुर में किसानों की जमीन लौटाने की मांग में दिसंबर 2006 में ममता ने जब 26 दिनों तक अनशन किया था तब शतब्दी, कबीर समुन और तापस पाल वहां लगातार मौजूद रहे थे। अभिनेता तापस पाल तो तृणमूल के टिकट पर अलीपुर से विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं। पुराने जमाने की मशहूर अभिनेत्री माधवी मुखर्जी ने वर्ष 2001 में कोलकाता की यादवपुर विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन हार गई थीं। एक और अभिनेत्री नयना 2001 में चुनाव जीती थी। लेकिन लोकसभा चुनावों में कलाकारों और फिल्मी हस्तियों को पहली बार मैदान में उतारा है ममता ने।
शताब्दी ने तपन सिन्हा की फिल्म आतंक के जरिए 1986 में अपना फिल्मी सफर शुरू किया था। उनकी फिल्में खासकर बंगाल के ग्रामीण इलाकों में काफी हिट रही हैं।
ममता को पिछले लोकसभा चुनावों में महज एक सीटें मिली थीं। लेकिन अबकी वे इसकी तादाद बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसलिए कांग्रेस के साथ तालमेल हो या फिर सितारों को मैदान में उतारना, वे कोई भी मौका नहीं चूक रही हैं।
ममता की इस रणीनिति की सत्तारूढ़ वाममोर्चा ने कड़ी आलोचना की है। माकपा के वरिष्ठ नेता श्यामल चक्रवर्ती ने कहा है कि इस फैसले से साफ हो गया है कि तृणमूल कांग्रेस राजनीतिक दिवालिएपन की शिकार हो गई है। उसके पास ढंग के उम्मीदवारों का टोटा है। इसलिए अपनी किस्मत चमकाने के लिए वे फिल्मी सितारों का सहारा ले रही हैं।
वैसे, यह सितारें जीते या नहीं, लेकिन उनके चुनाव प्रचार के दौरान भारी भीड़ जुट रही है। अपने चहेते कलाकारों को देखने के लिए। ममता के विरोधी चाहे कुछ भी कहें, कई सितारों को मैदान में उतार कर ममता ने अबकी लोकसभा चुनावों में ग्लैमर के रंग तो घोल ही दिए हैं।

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