Wednesday, June 10, 2009

नाम नहीं, अपने काम के भरोसे लड़ रहे हैं प्रणव

कोलकाता, 18 अप्रैल। उत्तर बंगाल में कांग्रेस का गढ़ समझे जाने वाले मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर संसदीय सीट पर यह काम का आदमी अपने नाम या पद के नहीं, बल्कि इलाके में किए गए अपने विकास कार्यों के भरोसे चुनाव मैदान में है। काम का आदमी यानी विदेश मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रणव मुखर्जी। प्रणव पिछली बार जीती इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन अपने कोई चार दशक लंबे राजनीतिक कैरियर में दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रणव दूसरे उम्मीदवारों की तरह हवाई वादे नहीं कर रहे। वे अपने नाम नहीं, बल्कि बीते पांच साल के दौरान सांसद के तौर पर इलाके में किए गए काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं। यहां उनके चुनाव प्रचार, इलाके में लगे पोस्टरों और बैनरों में भी इसी मूलमंत्र का सहारा लिया गया है। इन पर लिखा है--काजेर लोक, काछेर लोक, उन्नयनेर प्राणपुरुष यानी काम का आदमी, आपके बीच का आदमी और विकास की धुरी। मुखर्जी ने यह भी संकेत दे दिया है कि यह उनके जीवन का आखिरी चुनाव है। बांग्लादेश से सटा यह इलाका मुसलिम बहुल है। हर साल नदियों के भूमि कटाव की गंभीर होती समस्या और लगभग छह लाख बीड़ी मजदूर यहां सबसे बड़ा मुद्दा हैं।
प्रणव के जिम्मे बंगाल के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में चुनाव प्रचार का भी जिम्मा है। वे इलाके में पार्टी के सितारा प्रचारकों में शामिल हैं। इसलिए वे जंगीपुर में अपने चुनाव अभियान पर ध्यान कम ही दे पाते हैं। लेकिन उनको इसकी खास चिंता नहीं है। वे कहते हैं कि लोग मेरा काम देख कर ही मुझे दोबारा जिताएंगे। मुझे लंबे-चौड़े दावे करने की जरूरत नहीं है। मेरा काम ही बोलेगा। मुखर्जी कहते हैं कि वोटरों को उनकी उपलब्धियां देखकर ही उनके बारे में फैसला करना चाहिए अब इस सप्ताह वे तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के साथ मिल कर इलाके में साझा प्रचार अभियान चलाएंगे। अगले हफ्ते कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी भी जंगीपुर में प्रणव के समर्थन में एक चुनावी रैली को संबोधित करेंगी। उसमें ममता भी मौजूद रहेंगी।
प्रणव ने अगला संसदीय चुनाव नहीं लड़ने का भी संकेत दिया है। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र जंगीपुर की चुनावी सभाओं में कहा है कि उनकी उम्र बढ़ रही है, जिसके चलते शायद आगे चुनाव नहीं लड़ सकें। इसलिए एक बार और जंगीपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। यदि जनता मौका दे तो जो काम पांच साल में नहीं कर सकें हैं, उनको पूरा करने का प्रयास करेंगे।
अपनी रैलियों में वे कहते हैं कि केन्द्र सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेवारी संभालने के बावजूद मैंने कभी अपने संसदीय क्षेत्र की उपेक्षा नहीं की। जहां तक संभव हो सका, विकास में जुटा रहा। मुखर्जी लोगों को याद दिलाते हैं कि जंगीपुर से ही पहली बार संसदीय चुनाव जीतकर वे लोकसभा में पहुंचे थे। वे कहते हैं कि बंगाल के विकास के लिए वे हमेशा तैयार रहे हैं, लेकिन केंद्र के समर्थन के बावजूद कई योजनाओं को वाममोर्चा सरकार का सहयोग नहीं मिला। राज्य सरकार पर विकास के प्रति गंभीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए प्रणव कहते हैं कि कांग्रेस उद्योग के साथ कृषि चाहती है, लेकिन सरकार की दोहरी नीति से राज्य में औद्योगिकीकरण पर विवाद पैदा हुआ।
परिसीमन के बाद इस संसदीय क्षेत्र से फऱक्का और शमशेरगंज नामक दो विधानसभा सीटें बाहर हो गई हैं। इन दोनों को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इससे प्रणव की चुनौती कुछ कठिन हो गई है। फरक्का सीट पर तो बीते 18 वर्षों से कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। परिसीमन के बाद अब लालगोला विधानसभा क्षेत्र इस इलाके में शामिल हो गया है। अब इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की कुल सात सीटें हैं जिनमें लालगोला को छोड़ कर बाकियों पर वाममोर्चा का कब्जा है।
लेकिन यह दिग्गज कांग्रेसी नेता इससे परेशान नहीं है। उनको इलाके में किए गए विकास कार्यों पर पूरा भरोसा है। वे दावा करते हैं कि परिसीमन के चलते कांग्रेसी बर्चस्व वाले इलाकों के इस क्षेत्र से बाहर निकलने से कोई अंतर नहीं पड़ेगा। मुझे लोगों का समर्थन मिलेगा। वे कहते हैं कि बीते साल हुए पंचायत चुनावों में यहां पार्टी को 50 फीसद से ज्यादा वोट मिले थे। इस सीट पर प्रणव के प्रतिदंवदी और माकपा उम्मीदवार मृगांक भट्टाचार्य, जो जंगीपुर नगरपालिका के अध्यक्ष भी हैं, मानते हैं कि परिसीमन से उनको (माकपा को) कुछ फायदा जरूर मिलेगा। लेकिन यह जीत के लिए काफी नहीं है। वे कहते हैं कि जंगीपुर में हमें मुखर्जी की हाई-प्रोफाइल छवि से भी लड़ना पड़ रहा है।
माकपा उम्मीदवार का दावा है कि इलाके में सड़कों से लोकर तमाम विकास कार्य वाममोर्चा के कब्जे वाली जिला परिषद ने किया है। लेकिन मुखर्जी इन सबका सेहरा अपने माथे बांध रहे हैं। माकपा का आरोप है कि कांग्रेस ने इलाके के बीड़ी मजदूरों की दुर्दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया है। लेकिन प्रणव इस आरोप को निराधार करार देते हैं।
प्रणव की सबसे बड़ी खासियत है कि हाई-प्रोफाइल छवि के बावजूद वे इलाके के लोगों को घर का आदमी लगते हैं। पूर्व विधायक और प्रणव के चुनाव एजंट मोहम्मद सोहराब कहते हैं कि प्रणव दा पिछली बार बाहरी थे। अब तो इलाके में उनकी पहल पर हुए विकास कार्यों ने उनको घर का आदमी बना दिया है। अपनी साख, काम पर भरोसा और घर का व काम का आदमी की अपनी छवि के बावजूद मुखर्जी इलाके में चुनाव अभियान पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। चिलचिलाती धूप के बावजूद जब भी मौका मिलता है वे इलाके में निकल जाते हैं। वे कहते हैं कि कुछ काम हुआ है, लेकिन अब भी बहुत कुछ करना बाकी है। अबकी जीतने के बाद बाकी कार्यों को जल्दी पूरा करने को प्रथामिकता दी जाएगी। कड़ी धूप में लोगों से मिलते-जुलते उनका काफिला एक से दूसरे गांव की ओर बढ़ता रहता है।
फोटो परिचय---एक तस्वीर में प्रणव मुखर्जी जंगीपुर में चुनाव प्रचार करते हुए नजर आ रहे हैं। दूसरी तस्वीर जंगीपुर में उनके समर्थ में लगे एक बैनर की है जिस पर लिखा है- उन्नयनेर प्राणपुरुष, काजेर लोक, काछेर लोक, यानी विकास की धुरी, काम का आदमी और आपके बीच का आदमी ।

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