वाममोर्चा के पश्चिम बंगाल में शिलान्यासों की रेल चुनावी पटरी पर दौड़ने लगी है। टाटा मोटर्स की लखटकिया के सिंगुर से कारोबार समेटने के बाद मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की औद्योगिकीकरण की जो रेल पटरी से उतर गई थी, वह लोकसभा चुनावों के सिर पर आते ही सरपट दौड़ने लगी है। बीते कोई एक हफ्ते से राज्य में शिलान्यासों और उद्घाटनों की सिलसिला उफान पर है। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य रोजाना राज्य में किसी न किसी परियोजना का उद्घाटन या शिलान्यास कर रहे हैं। इनमें इस्पात परियोजनाओं से लेकर ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरीडोर जैसी बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। मोटे अनुमान के मुताबिक, बुद्धदेव ने एक सप्ताह के भीतर ही 10 हजार करोड़ से ज्यादा लागत वाली कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया है। यह बात दीगर है कि इनमें से कोई भी परियोजना 2011 से पहले पूरी नहीं होगी। जाहिर है आगामी लोकसभा चुनावों में उद्योग और औद्योगिकीरण ही वाममोर्चा का सबसे प्रमुख मुद्दा बनेगा।
मुख्यमंत्री ने बीते हफ्ते शुरूआत की पुरुलिया जिले के रघुनाथपुर जिले में श्याम स्टील की फैक्टरी के शिलान्यास से। वहां कंपनी ने 3425 करोड़ की लागत से 11 लाख टन क्षमता वाला एकीकृत इस्पात संयंत्र लगाने की योजना बनाई है। दिलचस्प बात यह है कि इस परियोजना के लिए जमीन के अधिग्रहण का काम भी अभी पूरा नहीं हुआ है। यह परियोजना 1265 एकड़ जमीन पर लगनी है, लेकिन अब तक महज 74 एकड़ का ही अधिग्रहण हुआ है। इस जमीन को कंपनी ने सीधे किसानों से खरीदा है। बावजूद इसके लोकसभा चुनावों के एलान को ध्यान में रखते हुए आनन-फानन में इसका शिलान्यास करा दिया गया। समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि वे जिला प्रशासन से बात करेंगे ताकि बाकी जमीन का अधिग्रहण जल्दी ही हो जाए। हालांकि यह परियोजना कोई डेढ़ साल से लटकी थी। अब भी यह तय नहीं है कि इसका काम कब शुरू होगा। वैसे, कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि इस साल की अंतिम तिमाही के दौरान काम शुरू हो जाएगा और परियोजना 2011 में पूरी हो जाएगी। लेकिन सरकारी सूत्रों को इस दावे पर संदेह है। वजह यह है कि बाकी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया कब तक पूरी होगी, यह तय नहीं है।
उसके बाद मुख्यमंत्री ने शनिवार को बर्दवान जिले में जय बालाजी इंडस्ट्रीज के एकीकृत स्टील प्लांट में 450,000 टन क्षमता वाले एलॉय व स्टेनलेस स्टील की एक इकाई का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि नए रोजगार पैदा करने के लिए राज्य को निवेश की जरूरत है। लेकिन विपक्ष सरकार के औद्योगीकरण प्रयासों में अड़ंगा लगा कर बेरोजगार युवाओं के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ ताकतें हमारे औद्योगीकरण अभियान का विरोध कर रही हैं। लेकिन यह ऐसे हजारों बेरोजगार युवाओं के हितों के खिलाफ है, जो हमारी ओर रोजगार के लिए टकटकी लगाए हुए हैं।
उसके बाद रविवार को मुख्यमंत्री ने ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरीडोर का शिलान्यास कर दिया। हावड़ा नदी के नीचे से होकर गुजरने वाली मेट्रो देश में अपनी तरह की पहली परियोजना होगी। इस पर कुल 4874.58 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें से राज्य सरकार 1,452.58 करोड़ रुपए और केंद्र सरकार 1,169 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देगी। राज्य सरकार ने बाकी 2,253 करोड़ रुपए की रकम जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी से लंबी अवधि के कर्ज के तौर पर ली है। इस परियोजना का काम पूरा करने के लिए साल 2014 तक की समयसीमा रखी गई है। सरकार का दावा है कि इसका काम जल्दी ही शुरू हो जाएगा। लेकिन यहां देश की पहली मेट्रो रेल परियोजना में लगने वाले समय को ध्यान में रखें तो इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है।
इसबीच, अब यह साफ हो गया है कि सिंगुर व नंदीग्राम की घटनाओं के बाद राज्य में निवेश का ग्राफ गिरा है। वर्ष 2008 में निवेश खींचने के मामले में राज्य का स्थान 13वां रहा जबकि उससे पहले यह चौथे नंबर पर था। एसोसिएटेड चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री आफ इंडिया (एसोचेम) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। एसोचेम के महासचिव डीएस रावत के मुताबिक वर्ष 2007 में पश्चिम बंगाल निवेश खींचने के मामले में अव्वल रहा। कई देशी-विदेशी कंपनियों ने राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश का ऐलान किया। वर्ष 2007 में राज्य में 2,434.89 अरब रुपए का निवेश हुआ था। लेकिन वर्ष 2008 मे यह घटकर 900.95 अरब रुपए हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगुर व नंदीग्राम मुद्दे के बाद राज्य में निवेश की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है। निवेशक राज्य में ताजा निवेश करने में थोड़ी सावधानी बरत रहे हैं।
राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टी तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी, जो विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं, ने आरोप लगाया है कि राज्य में एक के बाद परियोजनाओं के शिलान्यास के जरिए मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने दरअसल लोकसभा चुनावों का प्रचार शुरू कर दिया है। वे कहते हैं कि मुख्यमंत्री के इस अभियान में विदेश मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रणव मुखर्जी भी उनका सहयोग कर रहे हैं। वे हर शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री की हां में हां मिलाकर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास रहे हैं।
यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि सिंगुर के बाद सरकार ने विभिन्न परियोजनाओं पर जानबूझ कर धीरे चलने की नीति अपनाई थी। लेकिन अब लोकसभा चुनाव नजदीक आते देख कर उसने तमाम ठप पड़ी परियोजनाओं के शिलान्यासों व उद्घाटनों का सिलसिला शुरू कर दिया है। चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले से सरकार इनको निपटा देना चाहती है ताकि वह अपने इस सबसे अहम मुद्दे के नाम पर लोगों से वोट मांग सके।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment