Wednesday, June 10, 2009

चुनावी वैतरणी पार करने के लिए माकपा को संकटमोचक का सहारा

कोलकाता, 28 मार्च। माकपा के प्रदेश सचिव विमान बसु और मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य समेत पार्टी के ज्यादातर दिगग्ज पहले ही कह चुके हैं कि वाममोर्चा के लिए यह लोकसभा चुनाव काफी कठिन साबित हो सकते हैं। इस कठिन चुनावी वैतरणी में अपनी नैय्या पार लगाने के लिए माकपा ने फिर अपने संकटमोचक पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का सहारा लिया है। लगभग 95 साल की उम्र और लगातार ढलते स्वास्थ्य के बावजूद बसु घर बैठे ही माकपा के सितारा प्रचारक के तौर पर उभर रहे हैं। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि अब भी बसु का आकर्षण कम नहीं हुआ है। बीते 32 वर्षों के दौरान राज्य में होने वाले हर चुनाव में ज्योति बसु ही माकपा व वाममोर्चा के खेवनहार साबित होते रहे हैं। इस बार भी अपवाद नहीं है। ढलते स्वास्थ्य की वजह से चुनावी रैलियों में शिरकत करना बसु के लिए संभव नहीं है। इसलिए पार्टी ने बसु के भाषणों का वीडियो कैसेट तैयार कराया है। इसे कार्यकर्ताओं की बैठक और चुनावी रैलियों में दिखाया जा रहा है। बसु का यह भाषण यू ट्यूब के जरिए माकपा की चुनावी वेबसाइट पर भी डाला गया है और वे सबसे हिट साबित हो रहे हैं।
बसु अपने खराब स्वास्थ्य के चलते आठ फऱवरी को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वाममोर्चा की पहली चुनावी रैली में शामिल नहीं हो सके थे। उसमें उनका बयान पढ़ कर सुनाया गया था। उसके बाद वाममोर्चा कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में उनके भाषण के वीडियो कैसेट का प्रसारण किया गया। इसके बाद ही पार्टी नेतृत्व ने बसु के भाषण का कैसेट तैयार कराने का फैसला किया। अब उनके भाषण के वीडियो कैसेट की प्रतियां राज्य के विभिन्न जिलों में भेजी जा रही हैं। इसे दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में दिखाया जाएगा। माकपा के मालदा जिला सचिव जीवन मित्र बताते हैं कि बसु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ही वीडियो कैसेट बनवाने का फैसला किया गया। जल्दी ही यह कैसेट हर जिले में पहुंच जाएगा। हम अपनी चुनावी रैलियों में इसे दिखाएंगे।

वीडियो कैसेट में अपने भाषण में ज्योति बसु ने कहा है कि कांग्रेस ने देश की जनता के साथ विश्वासघात किया है। यूपीए की कोई नीति नहीं है। वामपंथियों ने भाजपा को हटाने के लिए केंद्र में कांग्रेस को समर्थन दिया गया था। लेकिन जिस न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर कांग्रेस को समर्थन दिया गया, उसे लागू नहीं किया गया। उन्होंने अपली की है कि देश में आम जनता के हित में काम करने वाली सरकार के गठन के लिए वाममोर्चा को जिताना जरूरी है। उन्होंने विश्वास जताया है कि राज्य की जनता अपनी यह जिम्मेदारी निभाएगी।
बसु ने कहा है कि उन्होंने लंबे समय तक पार्टी और सरकार में अपनी जिम्मेदारियां निभाई। वाममोर्चा सरकार ने जनता के हित में बहुत कुछ किया है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य की सराहना करते हुए माकपा के इश वरिष्ठ नेता ने कहा है कि वे राज्य को विकास की पटरी पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। जनता के समर्थन से ही विकास संभव है।
माकपा ने इस वीडियो रिकार्डिंग को यू ट्यूब के जरिए बीते 17 मार्च को अपनी विशेष चुनावी वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट वोट डाट सीपीआईएम डाट ओआरजी पर अपलोड किया और तबसे कोई तीन हजार लोग इसे देख चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि माकपा के बाकी नेताओं की वीडियो पर अब तक ज्यादा हिट नहीं दर्ज नहीं हुई है। इस साइट पर बसु, करात और येटुरी के अलावा पोलित ब्यूरो के दो अन्य सदस्यों बृंदा कारत और मोहम्मद अमीन के वीडियो भी हैं।
प्रदेश माकपा के एक नेता कहते हैं कि बसु के प्रति अब भी लोगों में भारी आकर्षण है। जो असर दूसरे नेताओं की सशरीर मौजूदगी से नहीं होता, वह बसु के वीडियो से हो जाता है। वे बीते चुनावों का हवाला देते हुए कहते हैं कि 1999 के चुनावों में भाजपा ने माकपा से दमदम सीट छीन ली थी। तब बसु ही उस सीट पर पार्टी के दौबारा कब्जे की मुहिम में जुटे थे। दमदम में आंतरिक गुटबाजी के चलते पार्टी वह सीट हारी थी। बसु ने दोनों गुटों के साथ बैठ कर बातचीत की और उनमें सुलह कराई। उस बैठक में बसु ने कहा था कि वे शायद 2009 के चुनावों तक जीवित नहीं रहें। इसलिए अपने जीते-जी वे दमदम सीट को दोबारा माकपा के कब्जे में देखना चाहते हैं। उनकी इस भावनात्मक अपील का जादूई असर हुआ और 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी भारी मतों के अंतर से यहां जीत गई।
आम तौर पर किसी व्यक्ति विशेष के महिमामंडन से बचने वाली माकपा ने अपनी चुनावी वेबसाइट के मास्टहेड पर वोट फार सीपीआईएम के साथ बसु की ही तस्वीर लगाई है। इससे पार्टी के लिए बसु की अहमियत का पता चलता है।
दूसरी ओर, महानगर के साल्टलेक स्थित इंदिरा भवन तक सीमित बसु के लिए भी इतिहास का पहिया पूरी तरह घूम गया है। कभी राज्य में कंप्यूटरीकरण के खिलाफ आंदोलन की कमान संभालने वाले बसु ही अब इंटरनेट पर वामपंथियों की साइट पर सबसे हिट साबित हो रहे हैं। इससे माकपा को उम्मीद है कि हर बार की तरह अबकी भी बसु का जादू राज्य के वोटरों के सिर चढ़ कर बोलेगा।

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