कोलकाता, 20 अप्रैल। लोकसभा चुनावों की तारीख नजदीक आने के साथ ही अब पश्चिम बंगाल में भी सितारे जमीन पर उतरने लगे हैं। इनमें नायक से लेकर नायिका, खलनायक और हास्य अभिनेता तक शामिल हैं। चालीस डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर घूम रहे पारे की परवाह नहीं करते हुए कहीं दम मारो दम गाने के लिए मशहूर जीनत अमान वोटरों से कांग्रेसियों के पक्ष में वोट मांग रही हैं तो कहीं महिमा चौधरी। बांग्ला सिनेमा के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती भी विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। हास्य अभिनेता असरानी और हिंदी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभा चुके प्रेम चोपड़ा बीते दिनों महानगर में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार सुदीप बंदोपाध्याय के पक्ष में प्रचार कर चुके हैं। अभी तो यह शुरूआत है। बंगाल में पहले दौर का मतदान 30 अप्रैल को होना है। उसके बाद क्रमशः छह और 13 मई को दूसरे और दूसरे दौर का मतदान होगा। उससे पहले वाममोर्चा के अलावा तमाम राजनीतिक दलों ने यहां दर्जनों कलाकारों को जमीन पर उतारने की योजना बनाई है।
अपने जमाने की मशहूर हीरोइन जीनत अमान ने रविवार को 42 डिग्री तक चढ़े पारे की परवाह नहीं करते हुए झारखंड से लगी पुरुलिया संसदीय सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के लिए लोगों से वोट मांगे। वे एक खुली जीप में घूमने के अलावा जगह-जगह पैदल भी घूमीं और लोगों से मिलीं। पुरुलिया जैसे पिछड़े इलाके में जीनत की एक झलक पाने के लिए कड़ी धूप की परवाह किए बिना सैकड़ों लोग जुटे थे। जीनत अगर पुरुलिया में थीं तो बालीवुड की एक और हीरोइन महिमा चौधरी उससे सटे बांकुड़ा जिले में कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मेयर सुब्रत मुखर्जी के लिए वोट मांगती नजर आईं। माकपा के करीबी रहे मिथुन चक्रवर्ती बीते दो दिनों से मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने प्रणव के साथ कई चुनावी रैलियों में शिरकत कर लोगों से उनके पक्ष में वोट डालने की अपील की है।
अबकी तृणमूल कांग्रेस से तालमेल टूटने के बाद अपने बूते चुनाव लड़ रही भाजपा ने ड्रीम गर्ल हेमामालिनी और टीवी की आदर्श बहू तुलसी यानी स्मृति ईरानी समेत कई अन्य फिल्मकारों को प्रचार के लिए बंगाल लाने की योजना बनाई है।
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी की ओर से इस महीने के आखिर में मुन्नाभाई यानी संजय दत्त के अलावा जयाप्रदा भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगती नजर आएंगी। भोजपुरी अभिनेता और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर संसदीय सीट से सपा उम्मीदवार मनोज तिवारी भी जल्दी ही हावड़ा और आसनसोल में पार्टी का प्रचार करते नजर आएंगे। गोरखपुर में पहले दौर में ही मतदान होने की वजह से मनोज फिलहाल फुर्सत में हैं। पार्टी उक्त दोनों इलाकों में रहने वाले भोजपुरी वासियों के बड़े तबके का वोट खींचने के लिए उनका इस्तेमाल करना चाहती है। सिंगुर मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस का साथ देने वाली सपा को अबकी कम से कम उससे एक सीट की उम्मीद थी। लेकिन तृणमूल ने जब उसे कोई सीट नहीं दी तो पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को उतारने का फैसला किया। तृणमूल से नाराजगी की वजह से उसने खासकर वीरभूम और कृष्णनगर इलाके में जयाप्रदा और मुन्नाभाई को प्रचार के लिए उतारने की योजना बनाई है। इन दोनों सीटों पर तृणमूल की ओर से दो फिल्मी सितारे मैदान में लड़ रहे हैं। सपा यहां उनके खिलाफ प्रचार करेगी। सपा सूत्रों के मुताबिक, महासचिव अमर सिंह के अलावा पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह भी अपने उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने यहां आ सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस ने तो पहले से ही सितारों को चुनावी जमीन पर उतार दिया है। पार्टी ने जानी-मानी अभिनेत्री शताब्दी राय को वीरभूम संसदीय सीट से मैदान में उतारा है तो बांग्ला फिल्मों में हीरो की भूमिका निभाने वाले तापस पाल को कृष्णनगर से। अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ रही शताब्दी सुबह से शाम तक काफी पसीना बहा रही हैं तापस पाल पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर महानगर की अलीपुर सीट से चुनाव जीते थे। इन दोनों के अलावा जाने-माने गायक कबीर सुमन भी पार्टी के टिकट पर यादवपुर संसदीय सीट से मैदान में हैं।
लेकिन क्या इन फिल्मी सितारों के चुनाव अभियान से उम्मीदवारों की किस्मत बदलती है? यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे कोई ज्यादा अंतर नहीं पड़ता। इन सितारों को देखने के लिए भीड़ भले जुटती हो, मतदान के दिन लोग अपनी पसंदीदा पार्टी या उम्मीदवारों को ही वोट देते हैं। पर्यवेक्षक इस मामले में वाममोर्चा की मिसाल देते हैं। सितारों के नाम पर जावेद अख्तर और शबाना आजमी ही उनके पक्ष में प्रचार करती रही हैं। बावजूद इसके बंगाल में मोर्चा ही ज्यादातर सीटें जीतता रहा है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि मतदान का नतीजा संबंधित पार्टी और उम्मीदवार पर ही निर्भर है। सितारों के आने से प्रचार में कई रंग भले शामिल हो जाते हों, नतीजों पर खास अंतर नहीं पड़ता। बावजूद इसके बंगाल में राजनीतिक दलों में अधिक से अधिक सितारों को जमीन पर उतारने की होड़ मची है।
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