Friday, May 29, 2009

फूल खिलते ही मुरझा जाते हैं चेहरे


फूलों का खिलना आम तौर पर खुशी का प्रतीक माना जाता है. हिंदी फिल्मों में फूलों के खिलने से जीवन में रंग भरने पर न जाने कितने ही लोकप्रिय गीत लिखे व गाए जा चुके हैं.लेकिन भारत में ही एक जगह ऐसी भी है जहां एक खास किस्म के फूलों के खिलने से लोगों ही नहीं बल्कि सरकार के चेहरे का रंग भी उड़ जाता है और वे मुरझाने लगते हैं. उस राज्य का नाम है मिजोरम. प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से पूर्वोत्तर भारत का सबसे खूबसूरत प्रदेश. और वे फूल चंपा, चमेली या गुलाब नहीं,बल्कि बांस के हैं.
यहां इन दिनों एक बार फिर बांस के फूल खिले हैं. दरअसल, बांस के फूल खिलते ही राज्य में चूहों की प्रजनन क्षमता तेजी से बढ़ जाती है. चूहों की बढ़ी हुई आबादी फसलों को कुतर देती है.यही वजह है कि राजधानी आइजोल में चूहों को मारने के लिए सरकार ने कई इनामी योजनाएं शुरू की हैं. चूहों ने राज्य के शेरछिप जिले में धान की फसलों को लगभग साफ कर दिया है. राज्य के एक प्रमुख कृषि वैज्ञानिक जेम्स लालसिमलियाना कहते हैं कि ‘चूहों की बढ़ी हुई आबादी ने धान की खेती को लगभग सफाचट कर दिया है. इस विपदा पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरपकार ने चूहों को जहर देकर मारने का अभियान शुरू किया है.’
राज्य में हर 50 वर्षों के बाद बांसों में बड़े पैमाने पर फूल खिलते हैं. राज्य के विभिन्न जिलों में इस साल भी यह फूल खिले हैं. बांस के बीजों को खाने वाले चूहों की आबादी इस दौरान आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है. स्थानीय भाषा में इस विपदा को ‘तम’ यानी ‘बांसों की मौत’ कहा जाता है. मिजोरम के कुल क्षेत्रफल के एक तिहाई हिस्से में बांस की खेती होती है.
राज्य सरकार ने पहले इस आफत से बचने के लिए किसानों को धान की बजाय दूसरी फसलों की बुवाई की सलाह दी थी. अब वह किसानों को मुफ्त जहर बांट रही है ताकि चूहों को मारा जा सके. आइजोल में एक सरकारी अधिकारी आर. ललथनहौला कहते हैं कि ‘इस प्राकृतिक आफत से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह तैयार है. इससे पहले उसने हर चूहे की मौत के लिए 50 रुपए का इनाम देने का एलान किया था. उसके बाद हजारों की तादाद में चूहे मारे गए थे. इस बार भी कई नई योजनाओं का एलान किया गया है.’ वे कहते हैं कि ‘हम बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि बांस में फूल खिलना विनाश का संकेत है. अब फूल खिलते ही राज्य के लोगों के चेहरों पर खौफ उभर आता है.’

1 comment:

  1. फूल खिलें या जीवन, प्रकृति का यह वरदान है या अभिशाप?

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