Thursday, May 28, 2009

बंगाल में राजनीतिक हथियार बना आइला


पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान आइला के तीन दिनों बाद अब महानगर और आसपास के इलाकों में भले ही जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी हो, यह तूफान यहां दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों-माकपा व तृणमूल कांग्रेस के बीच सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है। इस मुद्दे पर दोनों दलों में अपने-आप को तूफान पीड़ितों का सबसे बड़ा हमदर्द साबित करने की होड़ मची है। इस होड़ के चलते ही तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने परंपरा से हटते हुए इसके अलावा दोनों एक-दूसरे की कमियों पर हमला बोल रहे हैं। रेल मंत्री ममता बनर्जी कहीं राज्य सरकार पर राहत पहुंचाने में नाकाम रहने का आरोप लगा रही हैं तो कहीं मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सेना पर प्रभावित इलाकों में देरी से पहुंचने का आरोप लगाया है। ममता के अलावा मुख्यमंत्री ने भी तूफान प्रभावित इलाकों का दौरा किया। बुद्धदेव ने अपने वित्त मंत्री असीम दास गुप्ता को भी पूर्व मेदिनीपुर के दौरे पर भेज दिया।
ममता ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी समेत विभिन्न नेताओं से बात कर राज्य में राहत व बचाव कार्य में सहायता देने की अपील की। उनकी इस अपील का ही असर था कि प्रधानमंत्री ने आइला के चलते मरने वालों को दो-दो लाख रुपए की सहायता का एलान कर दिया। दूसरी ओर, वाममोर्चा अध्यक्ष विमान बसु तूफानपीड़ितों के लिए सहायता जुटाने की खातिर आज यहां सड़क पर उतरे।
ममता बनर्जी ने तूफान के अगले दिन ही पुरानी पंरपरा से हटते हुए दिल्ली की बजाय यहीं अपने मंत्रालय का कार्यभार संभाला और उसके तुरंत बाद एक विशेष ट्रेन लेकर तूफान से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण 24-परगना और सुंदरबन इलाके के दौरे पर निकल गईं। उन्होंने अपने छह सांसदों को भी गुरुवार को दिल्ली में शपथ लेकर तुरंत कोलकाता लौटने का निर्देश दिया है। ममता ने आरोप लगाया है कि बंगाल में आपदा प्रबंधन के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है। राज्य सरकार चक्रवाती तूफान से पीड़ितों को राहत पहुंचाने में विफल रही है। अब भी दक्षिण चौबीस परगना जिले के कई इलाकों में पीड़ित लोग पानी में रहने को मजबूर हैं। उन्हें खाना और पीने का पानी नहीं मिल रहा है।
रेल मंत्री की कहना था कि सरकार राहत पहुंचाने के पहले घर बनाने के लिए मुआवजा देने का एलान कर रही है। लेकिन जीवन बचाने के लिए भोजन जरूरी है। ममता का कहना था कि वे दिल्ली में प्रधानमंत्री से पीड़ितों के लिए विशेष पैकेज देने का अनुरोध करेंगी।
आइला के बाद लोगों में उभरी नाराजगी और असंतोष को भुनाने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने कई इलाकों में राहत शिविर और नियंत्रण कक्ष खोल दिए हैं।
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की अगुवाई में सरकार और प्रदेश सचिव विमान बसु की अगुवाई में माकपा भी अब तृणमूल कांग्रेस के इस अभियान की काट में जुट गई है। बुद्धदेव ने जयनगर के नीमपीठ इलाके में जाकर पीड़ितों से तो मुलाकात की ही, उनको हरसंभ सहायता देने का भी भरोसा दिया। उन्होंने आइला के चलते पर्वतीय इलाके में हुए जान-माल के नुकसान का ब्योरा जुटाने और परिस्थिति की समीक्षा के लिए गृह सचिव को मौके पर भेज दिया है। बाद में पत्रकारों से बातचीत में बुद्धदेव ने कहा कि यह तूफान काफी गंभीर था। किसी का नाम लिए बिना उनका कहना था कि ऐसी हालत में राजनीति नहीं करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने माना कि लंबे समय से बिजली व पानी नहीं होने की वजह से कोलकाता के लोगों की नाराजगी सही है। उन्होंने कहा कि सरकार तमाम सुविधाएं बहाल करने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
इसबीच, सुंदरबन के कुछ इलाकों में स्थिति अब भी गंभीर है। हजारों लोग जगह जगह फंसे हुए हैं, जिन्हें हेलीकाप्टरों से सेना के जवान खाद्य सामग्री, दवाइयां व पीने का पानी पहुंचा रहे हैं। सेना, बीएसएफ और जिला पुलिस के जवान हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंच चुके हैं लेकिन सुंदरवन व संदेशखाली की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक, संदेशखाली, कुलतली व सुंदरवन इलाके में राहत सामग्री पहुंचाने व फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में अभी भी दो दिन और लग सकते हैं।
दूसरी ओर, वाममोर्चा अध्यक्ष विमान बसु की अगुवाई में कार्यकर्ता ने पीड़ितों के लिए आज से धन जुटाने का अभियान शुरू कर दिया। पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के लिए शुरू यह अभियान तीन जून तक चलेगा। विमान बसु ने कहा है कि फिलहाल पीड़ितों की सहायता करना सबसे जरूरी है। उन्होंने वाममोर्चा के सभी सांसदों, विधायकों, पार्षदों व आम कार्यकर्ताओं को राहत कार्य में शामिल होने का निर्देश दिया है।
उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार से भी इस मामले में ठोस कदम उठाने की अपील की है। बसु ने आम लोगों से राहत व पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में धन देने की अपील की है।
यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी की जीत से उत्साहित ममता बनर्जी अब लोगों की हितैषी बनने का कोई मौका नहीं चूकना चाहतीं। शपथ लेने के दो दिन बाद ही राज्य में आए आइला ने उनको इसका सुनहरा मौका दे दिया है। ममता की इन कोशिशों की काट के लिए ही राज्य सरकार और माकपा भी पहले के मुकाबले ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच यह रस्साकशी अभी और तेज होने की संभावना है।

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