Sunday, July 12, 2009

फिर गरमाने लगीं दार्जिलिंग की पहाड़ियां


दक्षिण में लालगढ़ और माओवादियों की समस्या अभी पूरी तरह सुलझी भी नहीं है कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में स्थित दार्जिलिंग की पहाड़ियां एक बार फिर गरमाने लगी हैं। अलग गोरखालैंड की मांग में लंबे अरसे से आंदोलन चला रहा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा लोकसभा चुनाव के पहले से ही चुप्पी साधे बैठा था। लेकिन अब उसने एक बार फिर बेमियादी बंद का अपना पुराना और आजमाया दांव चलने का फैसला किया है। उसने 13 जुलाई यानी सोमवार को दोपहर तक तमाम पर्यटकों से इलाका खाली करने और शैक्षणिक संस्थानों से हास्टल खाली कराने को कहा है। इससे इलाके में एक बार फिर आतंक फैलने लगा है। मोर्चा का बेमियादी बंद कल से ही शुरू होगा।
मोर्चा का ताजा बहाना इलाके में एक निविदा को लेकर पुराने प्रतिद्वंद्वी सुभाष घीसिंग की अगुवाई वाले गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के सदस्यों के साथ मारपीट का है। इस मारपीट के बाद मोर्चा के तीन समर्थकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अब मोर्चा दोषी लोगों और इस मामले से जुड़े तमाम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन के तहत ही बेमियादी बंद का फैसला किया है।
मोर्चा ने दो दिन पहले ही बेमियादी बंद का एलान किया था। लेकिन बाद में पर्यटकों और छात्रों को होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए इसे 13 जुलाई तक स्थगित कर दिया था। अलग राज्य की मांग के समर्थन में मोर्चा पहले भी कई बार बंद बुला चुका है। इसी रणनीति के तहत उसने भाजपा नेता जसवंत सिंह को दार्जिलिंग संससीदय सीट पर समर्थन दिया था। तब मोर्चा नेतृत्व को उम्मीद थी कि केंद्र में राजग की सरकार लौटेगी और तब उसे अलग राज्य हासिल करने में आसानी हो जाएगी। लेकिन केंद्र में यूपीए सरकार के ही बने रहने की वजह से उसका यह दांव बेकार हो गया है। इसलिए उसने एक बार फिर बेमियादी बंद का हथियार चलाया है।
पानीघाटा में जीएनएलएफ समर्थकों के साथ मारपीट के बाद मोर्चा के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को ही पहाड़ियों में बेमियादी बंद का एलान करने वाले पोस्टर लगे थे। नतीजतन पूरा इलाका बंद हो गया। बाद में मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग ने एलान किया कि उन्होंने राज्य सरकार को इस मामले में दोषियों को गिरफ्तार करने और इस मामले से जुड़े पुलिस अधिकारियों को हटाने के लिए 13 जुलाई को दोपहर तक की समयसीमा तय की है। उसके बाद बेमियादी बंद शुरू होगा। मोर्चा ने अपने समर्थकों की बिनाशर्त रिहाई के अलावा जीएनएलएफ के कई नेताओं को गिरफ्तार करने और उत्तर बंगाल के आईजी कुंदन लाल टमटा समेत कोई आधा दर्जन पुलिस अधिकारियों को हटाने की मांग की है।
बेमियादी बंद के एलान के बाद शनिवार से ही जहां इलाके से बड़े पैमाने पर पर्यटकों की वापसी शुरू हो गई, वहीं जरूरी वस्तुओं व खाद्यान्नों की खरीद के लिए बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ी।
यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव बीत जाने के बाद बीते तीन-चार महीनों की चुप्पी के बाद मोर्चा नेतृत्व अब पानीघाटा कांड के बहाने बेमियादी बंद के जरिए केंद्र व राज्य सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। उसका यह दांव कितना कारगर होगा, यह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन इससे आम लोगों और इलाके की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था के साथ ही विदेशी मुद्रा कमाने वाले चाय उद्योग को भारी नुकसान तय है। बीते दो वर्षों से लगातार होने वाले आंदोलन की वजह से पहले ही इन क्षेत्रों का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अब दुर्गापूजा और दीवाली की छुट्टियों के दौरान शुरू होने वाले पर्यटन सीजन में इलाके की अर्थव्यवस्था को और भारी झटका लगेगा।

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