लोकसभा चुनावों में दुर्गति और उसके बाद राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा के सवाल पर केंद्र से कई बार डांट खाने के बाद अब पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा सरकार की सबसे बड़ी घटक माकपा ने पार्टी के दागी और भ्रष्ट कामरेडों से पल्ला झाड़ने की तैयारी कर ली है। रविवार को खत्म हुई माकपा राज्य समिति की दो-दिनी बैठक में पार्टी नेतृत्व ने सरकार के कामकाज में गति लाने के लिए मंत्रियों के विभागों में पेरबदल का भी फैसला किया है। इसके तहत उन मंत्रियों से कुछ विभाग लेकर दूसरों को सौंप दिए जाएंगे जिनके पास एक से ज्यादा विभागों का जिम्मा है। ध्यान रहे कि केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम राज्य के कई जिलों के कत्लगाह में तब्दील हो जाने का गंभीर आरोप लगा चुके हैं। इससे माकपा के शीर्ष नेतृत्व में तिलमिलाहट है। इन नेताओं ने पलटवार करते हुए इसके लिए कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को दोषी ठहराया है।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पहली बार पार्टी ने कबूल किया था कि दागी और भ्रष्ट कामरेडों की तादाद बढ़ी है और इनको पार्टी से निकालना जरूरी है। पार्टी नेतृत्व का मानना था कि ऐसे दागी नेताओं के चलते ही आम लोगों से माकपा की दूरी बढ़ी है और इसी वजह से लोकसभा चुनाव में पार्टी को मुंहकी खानी पड़ी है। बैठक में नेताओं ने माना कि लंबे अरसे तक लगातार सत्ता में रहने के कारण पार्टी आम लोगों से कट गई है। नेताओं ने पार्टी की संगठनात्मक खामियों को दूर कर आम लोगों से सीधा संवाद कायम करने की जरूरत पर जोर दिया। बैठक में इस बात पर आम राय रही कि पार्टी को भ्रष्ट व दागी कामरेडों से जल्दी से जल्दी छुटकारा पा लेना चाहिए। इसमें मंत्रिमंडल में फेरबदल पर भी जोर दिया गया। राज्य समिति की बैठक में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की औद्योगिकीकरण की मुहिम को आड़े हाथों लेते हुए कहा गया कि इसी वजह से बाकी योजनाएं हाशिए पर चली गईं और पार्टी को इसका खमियाजा चुनावों में भुगतना पड़ा।
माकपा सूत्रों ने बताया कि बैठक में विभिन्न जिलों में आने वाली उन रिपोर्टों पर विस्तार से चर्चा की गई जिनमें कहा गया है कि कुछ भ्रष्ट नेताओं के अधिकारों के दुरुपयोग से नाराज होकर बेहतर छवि वाले कुछ नेताओं ने भी पार्टी से नाता तोड़ लिया है और विपक्ष के साथ हो गए हैं। बैठक में तय हुआ कि अब निजी हितों के लिए सत्ता और अधिकारों का दुरुयोग करने वाले नेताओं से छुटकारा पाना जरूरी है। पार्टी के प्रदेश सचिव विमान बसु ने तमाम जिलों से आए नेताओं से ऐसे दागी नेताओं की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। राज्य के विभिन्न जिलों में पार्टी के कुछ नेता रियल इस्टेट के धंधे में शामिल हैं तो कई नेता कुछ सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत से शिक्षा के धंधे में सक्रिय हो गए हैं।
माकपा नेताओं का कहना है कि पूरी सरकार के औद्योगिकीकरण में जुट जाने की वजह से विभिन्न मंत्रालयों का काम ठप हो गया है और गरीब व पिछड़े तबके के लोगों के लिए चलाई जाने वाली कई कल्याण योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इसलिए अब जल्दी ही मंत्रियों के विभागों में फेरबदल की संभावना है। पार्टी नेताओं का कहना है कि एक मंत्री के पास एक से ज्यादा मंत्रालय होने की वजह से उन पर ठीक से ध्यान देना संभव नहीं हो रहा है। खासकर पंचायत और पुलिस विभाग का कामकाज काफी सुस्त है। आगोमी विधानसभा चुनावों से पहले इनको और सक्रिय किया जाना चाहिए। कामरेडों में माओवादी प्रभावित इलाकों में माकपा नेताओं और काडरों की सुरक्षा में नाकामी के लिए भी पुलिस विभाग के प्रति भारी नाराजगी है। यह विभाग मुख्यमंत्री के ही जिम्मे है।
पार्टी ने सरकार से एक ठोस तंत्र विकसित करने को कहा है कि ताकि कल्याण योजनाओं का फायदा जमीनी स्तर पर आम लोगों तक पहुंच सके। राज्य समिति ने माना है कि दागी कामरेडों से छुटकारा नहीं मिलने और आम लोगों से सीधा संवाद दोबारा बहाल नहीं होने की स्थिति में पार्टी की आगे की राह आसान नहीं होगी।
Sunday, August 2, 2009
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दागियों से पल्ला झाड़ लेने के बाद पल्ले में कुछ बचेगा क्या? ईमानदारी से सफ़ाई करें तो सही। वैसे, जनता अगले चुनाव में सफाई तो कर ही देगी।
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