Friday, July 31, 2009
पुलिसवालों का अंधविश्वास!
इसे अंधविश्वास कहें, आस्था या फिर दशकों पुरानी परंपरा. लेकिन पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के 32 साल लंबे शासनकाल के बावजूद राज्य पुलिस ने कुछ ऐसी परंपराओं को जीवित रखा है जिनको देख-सुन कर आज के दौर में कोई भी शर्मसार हो सकता है. उसका मानना है कि किसी पुलिस वाले के हाथों से डंडा गिर जाए तो उस इलाके में कानून व व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. और अगर डंडा हाथों से छूट कर नीचे गिर जाए तो भावी अनिष्ट से बचने के लिए उसे गंगाजल से धोया जाता है. यही वजह है कि राज्य के तमाम थानों में थानाध्यक्ष के कमरे में गंगाजल से भरी बोतल जरूर रखी रहती है. ऐसे अंधविश्वासों की सूची काफी लंबी है.
कोई भी पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी के दौरान केस डायरी नहीं लिखता. उनका मानना है कि ऐसा करने पर काम के घंटे बढ़ सकते हैं. एक पुलिस अधिकारी कहते हैं कि ‘ड्यूटी का समय खत्म हो जाने के बाद ही हम लोग केस डायरी लिखते हैं.’ राज्य के हर थाने में जनरल डायरी रजिस्टर व प्राथमिकी रजिस्टर को एक-दूसरे से काफी दूर रखा जाता है. पुलिस वाले मानते हैं कि अगर यह दोनों एक-दूसरे से छू गए तो थाने में शिकायतों की भऱमार लग जाएगी. थाने में कोई भी अधिकारी अपनी कुर्सी पर बैठ कर न तो मांसाहारी भोजन करता है और न ही अपनी मेज पर इसे रखता है. वजह-इससे आसपास के इलाके में अपराध बढ़ जाएंगे.
यह परंपरा सिर्फ थानों तक ही सीमित नहीं है. कोलकाता पुलिस के मुख्यालय लालबाजार में खुफिया विभाग के अधिकारी किसी छापामारी अभियान में रस्सा साथ लेकर नहीं जाते. यह रस्सा अपराधियों को बांधने में काम आता है. अधिकारियों का मानना है कि इससे अपराधी को पकड़ने में दिक्कत हो सकती है. खुफिया विभाग में रहे एक पुलिस अधिकारी कहते हैं कि ‘मैंने वहां अपने कार्यकाल में देखा कि कोई भी हाथों में रस्सा लेकर नहीं जाना चाहता था.’ इसी विभाग के एक अन्य अधिकारी बताते हैं कि ‘ड्यूटी खत्म कर घर जाने से पहले थाने का हर कर्मचारी पुलिस लाकअप को हाथ जोड़ कर प्रणान करता है. उनकी मान्यता है कि इससे लाकअप में मौत जैसी अप्रिय घटना नहीं होगी.’ जीप से किसी अपराधी को पकड़ने निकली पुलिस टीम का रास्ता अगर कोई बिल्ली काट दे तो वे अपनी गाड़ी खड़ी कर तब तक रुके रहते हैं जब तक दूसरी कोई गाड़ी सड़क पर आगे नहीं निकल जाए. एक पुलिस इंस्पेक्टर बताते हैं कि ‘अगर हमने ऐसा नहीं किया तो खाली हाथ लौटना पड़ सकता है.’
पुलिसवालों में शून्य के प्रति इतना खौफ है जैसे उन्होंने किसी का भूत देख लिया हो. कोई भी पुलिस वाला अपने हाजिरी रजिस्टर में अपने आने या जाने का समय इस तरह नहीं लिखता कि अंतिम अंक शून्य हो. यानी कोई अगर 10 बजे थाने पहुंचेगा तो भी वह रजिस्टर में हस्ताक्षर के लिए पांच मिनट तक इंतजार करेगा और समय लिखेगा दस बजकर पांच मिनट.
आखिर इन अंधविश्वासों की वजह क्या है? मनोवैज्ञानिक सलाहकार डा. सुमित चटर्जी का कहना है कि ‘दरअसल ज्यादातर पुलिस वाले भी भ्रष्ट हैं. इसलिए वे लोग इन अंधविश्वासों पर भरोसा करते हैं.’ राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि ‘कुछ पुलिसवाले अंधविश्वासी जरूर हैं. लेकिन इस नौकरी में आने वाले खतरों व असुरक्षा की भावना के चलते ही वे लोग ऐसा करते हैं. एक गलती से उनकी नौकरी तक जा सकती है. वे कहते हैं कि पुलिस वाले समाज को अपराधमुक्त रखना चाहते हैं. इसके लिए ही वे लोग इन पुरानी परंपराओं का पालन करते आ रहे हैं.’
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aashcharya hai यह अन्धविश्वास उस दल के शासन काल मे उत्पन्न हुए है जिसे प्रगतीशील कहा जाता है !!1
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