Wednesday, July 22, 2009

ममता की नजरें अब बंगाल की गद्दी पर


रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता में शहीद दिवस के मौके पर होने वाली अपनी सालाना रैली में साफ कर दिया है कि उनकी मंजिल अब राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग है। इस रैली में जुटी रिकार्ड भीड़ ने भी साबित कर दिया कि आम लोग दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल को ही बंगाल की गद्दी का दावेदार मान रहे हैं। ममता ने अपने भाषण में भी साफ कहा कि दो साल बाद सत्ता पर काबिज होने के बाद वे एक साफ-सुथरी और पारदर्शी सरकार का गठन करेंगी।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को परिर्वतन की लहर राइटर्स बिल्डिंग पहुंचने तक लगातार आंदोलन करते रहने का निर्देश दिया।
ममता का कहना था अब यह भ्रम टूट गया है कि माकपा हार नही सकती। धर्मतल्ला में शहीद रैली की भीड़ संभाले नहीं संभल रही थी। पूरा कोलकाता जाम हो गया था। अप्रत्याशित भीड़ को देख उत्साहित ममता ने कहा कि माकपा के आतंक का जवाब हम लोकतांत्रिक आंदोलन से देंगे और मानवीयता कभी नहीं छोड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि तृणमूल की पहचान मां, माटी और मानुष की है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी औरों से अधिक है। हम बेमतलब हड़ताल व बंद का सहारा नहीं लेंगे। हम कृषि के साथ उद्योग चाहते हैं। कृषि हंसी है तो उद्योग खुशी। इन दोनों बहनों का हम स्वागत करते हैं।
माकपा पर जमकर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बत्तीस वर्षों के शासन में बेरोजगारों की तादाद एक करोड़ तक पहुंच गई है। उन्होंने सिंगुर, नंदीग्राम व रिजवान कांड के दौरान बुद्धिजीवियों व कलाकारों के समर्थन जिक्र करते हुए सत्ता परिवर्तन के लिए आगे भी उनका नैतिक समर्थन मांगा।
बात-बेबात आंदोलन करने वाली ममता का अंदाज भी हाल में बदल गया है। वे अब तक औद्योगीकरण से अलग हटकर बात किया करती थीं, अब सड़क, गांवों में बिजली पहुंचाने और शिक्षा व्यवस्था में पूरी तरह बदलाव की बात कर रही हैं। उनका दावा है कि अगर पश्चिम बंगाल में सत्ता उनके हाथों में आती है तो उनकी पार्टी इन मोर्चों पर राज्य का कायापलट कर देगी। राज्य में 2011 में विधान सभा चुनाव होने हैं और इसे देखते हुए उन्होंने अगले दो सालों के लिए पार्टी की योजना भी तैयार कर ली है।
ममता ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अब किसी भी छोटी बात पर न तो बंद बुलाएगी और न ही सड़कें जाम करेगी। उन्होंने पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं से भी इस नियम का कड़ाई से पालन करने को कहा। ध्यान रहे कि बीते दिनों बंगाल में कांग्रेस की ओर से बुलाए गए बंद का ममता ने नैतिक समर्थ तो किया था। लेकिन अपने कार्यकर्ताओं को जबरन बंद कराने के लिए सड़क पर उतरने से मना कर दिया था।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अपने लंबे राजनीतिक कैरियर में पहली बार खुद को बंगाल की सत्ता के इतने करीब पा कर ही ममता ने पार्टी के चरित्र में बदलाव करते हुए उसकी छवि सुधारने की कवायद शुरू की है।

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