Wednesday, August 12, 2009

अब गांधी से दो-दो हाथ कर रहे हैं वामपंथी


पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के सबसे बड़ी घटक माकपा ने राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के खिलाफ लगता है अंतिम मोर्चा खोल दिया है। वैसे, तो गांधी के कार्यकाल के दौरान माकपा से उनका छत्तीस का ही आंकड़ा रहा है। लेकिन अब उनके कार्यकाल के आखिरी दौर में माकपा ने उन पर अपनी संवैधानिक जिम्मेवारियों के निर्वाह में तटस्थ नहीं रहने का आरोप लगाते हुए उन पर हमले तेज कर दिए हैं। यह हमला इतना तीखा था कि राज्यपाल को मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और माकपा के प्रदेश सचिव विमान बसु, जो वाममोर्चा के अध्यक्ष भी हैं, को बाकायदा पत्र लिख कर यह सफाई देनी पड़ी कि उन्होंने अपने कामकाज में हमेशा तटस्थता बरती है। बावजूद उसके माकपा सोची-समझी रणनीति के तहत गांधी पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। माकपा के बाद अब वाममोर्चा में उसकी सहयोगी भाकपा भी हमलावर मूड में आ गई है। भाकपा महासचिव ए.बी. वर्द्धन ने भी राज्यपाल को राजनीतिक हिंसा की पूरी जानकारी लेने के बाद ही कोई टिप्पणी करने की नसीहत दे डाली।
दरअसल, विधानसभा में विपक्ष के नेता पार्थ चटर्जी की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते सप्ताह राज्यपाल से मिल कर राजनीतिक हिंसा रोकने पर उनसे हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था। उन्होंने राज्यपाल को बताया था कि राज्य में हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय हस्तक्षेप जरूरी है। उसी दिन वाममोर्चा विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी राज्यपाल से मिल कर राज्य में हिंसा फैलाने के लिए तृणमूल सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों की ओर से भड़काऊ बयान देने की शिकायत की। प्रतिनिधि मंडल ने राजनीतिक हिंसा के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेवार ठहराया था। उसके बाद ही राज्यपाल ने एक बयान जारी राजनीतिक हिंसा पर चिंता जताई थी और इसे रोकने के लिए राजनीतिक दलों की चुप्पी का भी जिक्र किया था। उसके बाद पहले वाममोर्चा की ओर से एक बयान जारी कर राज्यपाल पर पक्षपात करने का आरोप लगाया गया और बाद में माकपा राज्य समिति के सदस्य श्यामल चक्रवर्ती ने सार्वजनिक तौर पर राज्यपाल की आलोचना की।
माकपा ने गांधी के बयान को एकतरफा व पक्षपातपूर्ण करार दिया है। उसने मंगलकोट में हिंसा और लाठीचार्ज के लिए तृणमूल को जिम्मेदार ठहराया है। माकपा के राज्य सचिव विमान बसु ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस सुनियोजित तरीके से राज्य में हिंसा फैला रही है। मंगलकोट में बाहरी लोगों को ले जाकर पुलिस पर हमला किया गया। इस पर टिप्पणी करते हुए तृणमूल कांग्रेस के पार्थ चटर्जी ने कहा कि सच्चाई से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ही माकपा नेता राज्यपाल के खिलाफ बेसिर-पैर के आरोप लगा रहे हैं।
रविवार को माकपा राज्य कमेटी के सदस्य व सीटू के वरिष्ठ नेता श्यामल चक्रवर्ती ने राज्यपाल पर हमला बोला। उनका कहना था कि राजनीतिक हिंसा पर राज्यपाल हमें तो बहुत उपदेश देते हैं, लेकिन वे तृणमूल कांग्रेस की ओर से फैलाई जा रही हिंसा पर चुप्पी साध लेते हैं। चक्रवर्ती ने गांधी के रवैए को अनुचित करार दिया। नंदीग्राम से लेकर अब तक के गांधी के बयानों का हवाला देते हुए माकपा नेता ने कहा कि उनका रवैया हमेशा पक्षपातपूर्ण रहा है। वे वाम मोर्चा और माकपा को ही कठघरे में खड़ा करने में लगे हैं।
इन हमलों के बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और माकपा के राज्य सचिव विमान बसु को पत्र भेज कर साफ किया है कि संवैधानिक पद का निर्वाह तटस्थ रह कर ही किया जाता है। वे निष्पक्ष होकर ही अपनी संवैधानिक जिम्मेवारी निभा रहे हैं। इसबीच, पार्टी के एक कार्यक्रम में शिरकत करने कोलकाता आए भाकपा महासचिव ए.बी. वर्द्धन ने कहा कि राज्यपाल को राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा की विस्तृत जानकारी हासिल करने के बाद ही कोई बयान जारी करना चाहिए। उनको कम से कम यह तो पता करना ही चाहिए कि हिंसा के लिए कौन जिम्मेवार है। उन्होंने कहा कि वाममोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने पहले ही राज्यपाल को बताया था कि तृणमूल नेता व कुछ केंद्रीय मंत्री के भड़काऊ बयानों से तनाव फैल रहा है। लेकिन गांधी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। वर्द्धन ने कहा कि राज्यपाल ने जिस तरह पक्षपातपूर्ण बयान जारी किया वह ठीक नहीं है।
यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि माकपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत ही राज्यपाल पर हमले शुरू किए हैं। पार्टी यह साबित करने का प्रयास कर रही है कि विपक्ष की हिंसा को राज्यपाल का भी समर्थन हासिल है। ऐसे में यह सिलसिला अभी थमने के आसार कम ही हैं। जनसत्ता से

2 comments:

  1. इसके अतिरिक्त वामपंथियों के पास कुछ भी कहने-करने को नहीं है।

    ReplyDelete