Monday, July 13, 2009

अब आलू बेच रही है वाममोर्चा सरकार


पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार अब राजधानी कोलकाता के बाजारों में आलू बेच रही है. जी हां, सरकार की ओर से दुकानें लगा कर आलू बेचने का यह मामला अपनी किस्म का पहला और अनूठा है. दरअसल, उसने खुले बाजार में आलू की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए ही यह फैसला किया है. खुले बाजार में ज्योति आलू की कीमत सोलह रुपए प्रति किलो है. लेकिन सरकार कोल्ड स्टोरेजों से साढ़े बारह रुपए प्रति किलो खरीद कर इसे तेरह रुपए किलो बेच रही है. सरकार आलू को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में शामिल करने का प्रयास कर रही है. इसके लिए अधिनियम में एक उपधारा जोड़ने पर विचार हो रहा है. लेकिन सरकार के आलू बेचने के फैसले ने उनके घटक दल फारवर्ड ब्लाक समेत आलू व्यापारियों को नाराज कर दिया है.यह विडंबना ही है कि बीते साल आलू का रिकार्ड उत्पादन होने की वजह से जहां राज्य में किसान इसे एक रुपए प्रति किलो की दर पर बेच रहे थे, वहीं इस साल इसकी कीमत 16 से 18 रुपए किलो तक पहुंच गई है. बीते साल उत्पादन लागत वसूल नहीं होने की वजह से कुछ किसानों ने आत्महत्या तक कर ली थी. सरकार ने जमाखोरों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की भी बात कही है. वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता कहते हैं कि ‘सरकार ने आम लोगों को ध्यान में रखते हुए ही कोल्ड स्टोरेजों से खरीद तक बाजार दर से कम कीमत पर आलू बेचने का फैसला किया है.’ फिलहाल महानगर की 14 मंडियों में सरकारी कर्मचारी यह आलू बेच रहे हैं. इसके लिए सुबह से ही लंबी कतारें लग रही हैं. एक व्यक्ति को दो किलो से ज्यादा आलू नहीं दिया जाता. दासगुप्ता कहते हैं कि ‘धीरे-धीरे राज्य के दूसरे जिलों में भी यह योजना शुरू की जाएगी.’
बीते एक महीने के दौरान मंडियों में आलू के दाम दोगुने हो गए हैं. फिलहाल ज्योति और चंद्रमुखी आलू 17 से 18 रुपये किलो बिक रहे हैं. हालांकि महानगर की सबसे बड़ी मंडी पोस्ता में आलू का थोक भाव 13 रुपये किलो है. लेकिन बिचौलियों के हाथों से गुजरते हुए खुदरा बाजार में पहुंचते-पहुंचते इसकी कीमत बढ़ जाती है. इस साल कीड़ों के प्रकोप से जिलों में आलू की खेती बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई है. इसलिए बाजारों में आवक कम है। इस साल आलू का उत्पादन बीते साल के मुकाबले 32 लाख टन कम हुआ है. यानी उत्पादन में लगभग 40 फीसदी गिरावट आई है। बीते साल राज्य में 80 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था। दूसरी ओर, सरकार की इस योजना के आलोचक भी कम नहीं हैं. कृषि विपणन विभाग, जो वाममोर्चा के घटक फारवर्ड ब्लाक के जिम्मे है, के एक अधिकारी कहते हैं कि सरकार की इस योजना से नवंबर में नई फसल आने तक आलू की कीमतें 25 रुपए किलो तक पहुंच जाएंगी. लेकिन वित्त मंत्री दावा करते हैं कि सरकार कीमतों पर नजर रखेगी और सरकारी कीमत को भी धीरे-धीरे कम करने का प्रयास किया जाएगा. वे कहते हैं कि ‘सरकार ने आलू के बड़े आढ़तियों के खिलाफ अभियान चलाने का फैसला किया है. शनिवार को यह योजना शुरू होने के बाद पहले दिन ही 14 बाजारों में छह हजार से ज्यादा लोगों ने सरकारी दर पर आलू खरीदा.रविवार को छुट्टी होने की वजह से और ज्यादा लोग इन दुकानों पर पहुंचे.’
इसबीच, रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इसे माकपा और उसकी अगुवाई वाली राज्य सरकार का एक नया नाटक करार दिया है. ममता कहती हैं कि 'सरकार अपनी नाकामियों को छिपाकर आम लोगों की सहानुभूति हासिल करने के लिए ही आलू बेचने का नाटक कर रही है. इससे कीमत घटने की बजाय और बढ़ेगी.'
दूसरी ओर, सरकार की इस योजना से आलू व्यापारियों ने नुकसान का अंदेशा जताया है. उनका कहना है कि आलू की कीमत घटने की स्थिति में उनको भारी नुकसान होगा. एक व्यापारी अम्लान दास कहते हैं कि ‘हमने ऊंची कीमत पर आलू खरीदा है. अब कम दाम पर उसे बेचने पर हमें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. सरकार ने इस पहलू के बारे में कुछ नहीं सोचा है.’ आलू व्यापारी चाहे कुछ भी कहें, आम लोग तो इससे खुश हैं. कोलकाता के गरियाहाट बाजार में एक घंटे के इंतजार के बाद दो किलो आलू खरीदने वाले इंद्रजीत मुखर्जी कहते हैं कि यह एक बढ़िया प्रयास है. इससे लोगों को महंगाई से कुछ राहत मिलेगी. इस योजना के प्रति लोगों में उत्साह को ध्यान में रखते हुए सरकार अब जल्दी ही जिलों में भी ऐसी व्यवस्था करने जा रही है. यही नहीं, सरकार अब जल्दी ही राशन की दुकानों के जरिए कम कीमतों पर चावल, दाल और तेल मुहैया कराने पर भी विचार कर रही है. अब सरकार ने यह कदम जनहित में उठाया हो या लगातार दूर होते आम लोगों को करीब लाने के लिए, कोलकाता की मंडियों में आलू की सरकारी दुकानों के सामने खरीददारों की कतार तो रोज लंबी होती जा रही है.

1 comment:

  1. अगले चुनाव के बाद इनके पास आलू बेचने का ही काम रह जायेगा | अतः अभी से ये अनुभव हासिल करना इस सरकार के लिए ठीक रहेगा |

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