Wednesday, October 14, 2009

सात समंदर पार चला बांग्ला सिनेमा


बांग्ला सिनेमा अब सात समंदर पार अमेरिका पहुंच गया है. अमेरिका और यूरोप में अब तक हिंदी और तमिल फिल्मों का ही व्यावसाइक तौर पर प्रदर्शन किया जाता था. अब बांग्ला फिल्में भी इसी राह पर चलने की तैयारी में हैं. दुर्गापूजा के दौरान सनफ्रांस्सिको में नई बांग्ला फिल्म ‘दूजने (दोनों लोग)’ व्यावसाइक तौर पर रिलीज की गई. वहां दो सिनेमाघरों में प्रदर्शन के बाद फिलहाल मियामी और वाशिंगटन जीसी में भी सप्ताहांत के दौरान यह फिल्म सिनेमाघरों में दिखाई जा रही है. इसे मिलने वाली कामयाबी से उत्साहित बांग्ला फिल्मोद्योग यानी टालीवुड ने अगले छह महीनों के दौरान अमेरिका और इंग्लैंड में कम से कम सात और बांग्ला फिल्मों के प्रदर्शन की तैयारी की है.इस पहल की अगुवाई करने वाले कोलकाता स्थित पियाली फिल्म्स के मालिक अरिजीत दत्त कहते हैं कि ‘फिल्म के प्रीमियर के दौरान इसके ज्यादातर कलाकार वहां मौजूद थे. इस काम में अमेरिका के बंगाली एसोसिएशन ने भी काफी सहायता की. हम कम से कम सात और फिल्मों की रिलीज के लिए अमेरिका और इंग्लैंड में वितरकों से बातचीत कर रहे हैं.’
कई सुपरहिट बांग्ला फिल्में बनाने वाले निर्माता प्रभात राय कहते हैं कि ‘विदेशों में बांग्ला फिल्मों का बाजार काफी बड़ा है. अब तक इसकी चर्चा ही होती थी. लेकिन कभी किसी ने कोई पहल नहीं की. अब शुरूआत होने के बाद इसके लिए वितरक भी आगे आएंगे.’ दत्त कहते हैं कि ‘विदेशों में व्यावसाइक प्रदर्शन की वजह से हर फिल्म को 30 से 50 लाख रुपए तक की अतिरिक्त कमाई हो सकती है. इस रकम से बांग्ला फिल्मोद्योग का तेजी से विकास हो सकता है.’

‘दूजने’ के नायक देव कहते हैं कि ‘वैश्विक पहचान बनाने के लिए विदेशों में बांग्ला फिल्मों का प्रदर्शन जरूरी है. अब तक तो एक अभिनेता के तौर पर विदेश में बसे बंगालियों के बीच मेरी कोई पहचान नहीं बनी है.’ जाने-माने अभिनेता प्रसेनजित कहते हैं कि ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के बाद अब बांग्ला सिनेमा के लिए विदेशों में व्यावसाइक कामयाबी हासिल करने का समय आ गया है.’ वे कहते हैं कि बंगाल में बाक्स आफिस पर हिट होकर संतुष्ट होने की बजाय बांग्ला सिनेमा को अब अपनी वैश्विक पहचान बनाने पर ध्यान देना चाहिए. खुद प्रसेनजित भी एक अभिनेता के तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं. वे कहते हैं कि विदेशों में व्यावसाइक प्रदर्शन नहीं शुरू होने तक ऐसा संभव नहीं है.बांग्ला फिल्में अब तक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों या बंग सम्मेलनों में मुफ्त में ही दिखाई जाती रही हैं. विदेश में रिलीज होने वाली फिल्म के सब-टाइटल अंग्रेजी में हैं ताकि गैर-बंगाली दर्शक भी इसे समझ सकें. हाल में बांग्ला सिनेमा पर अपनी वेबसाइट बनाने वाले प्रसेनजित कहते हैं कि यह वेबसाइट बांग्ला फिल्मों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक कदम है. वे मानते हैं कि अब बांग्ला फिल्में गुणवत्ता के स्तर पर एशिया और यूरोप की फिल्मों की बराबरी के लिए तैयार हैं.पहली फिल्म की कामयाबी के बाद अनिल अंबानी की बिग पिक्चर्स और महानगर की पियाली फिल्म्स समेत कई कंपनियां अब अपनी फिल्मों को सात समंदर पार दिखाने की तैयारी में जुटी हैं. पियाली फिल्म्स के दत्त कहते हैं कि यह बांग्ला सिनेमा के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है.

1 comment:

  1. बांगला फिल्में कथानक के तौर पर हमेशा हिंदी फिल्मों पर भारी रहती है । हिंदी क्यूंकि बहुजनों की भाषा है कि इसका प्रचार भी ज्यादा है । पर अब लगता है बंगला फिल्मों के भी अच्छे दिन आगये ह ।

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