Saturday, October 17, 2009

उनकी ज़िंदगी से जुड़े हैं पटाखे


दीवाली को खुशियों का त्योहार माना जाता है. लेकिन पश्चिम बंगाल में राजधानी कोलकाता से सटे नुंगी गांव में यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि रोजीरोटी का जरिया भी है. यानी उनके लिए यह दोहरी खुशी का मौका है. पहली तो यह कि दीवाली उनके लिए भी खुशियों का त्योहार है और दूसरी यह कि दीवाली उनके लिए पूरे साल की मेहनत का नतीजा लेकर आती है. दरअसल, इस गांव में घर-घर में खासकर महिलाओं के हाथों बनने वाले पटाखों से ही पूरे साल घर का खर्च निकलता है. दक्षिण 24-परगना जिले में स्थानीय लोगों के बीच यह गांव पटाखा गांव के तौर पर मशहूर है.गांव की सीमा के पास पहुंचते हुए हवा में बारूद की गंध आने लगती है. गांव की हर उम्र की महिलाएं दीवाली के बहुत पहले से पटाखे बनाना शुरू कर देती हैं. यहां बनने वाले पटाखों की बंगाल के अलावा पड़ोसी झारखंड और बिहार समेत देश के दूसरे शहरों में भारी मांग है. गांव का हर लगभग परिवार इस काम से जुड़ा है. यह कहना सही होगा कि पटाखा निर्माण यहां कुटीर उद्योग बन गया है. सुजाता दास कहती है कि ‘गांव में लगभग तीन हजार महिलाएं पटाखा बनाती हैं. हमारे पटाखों की पूरे देश में अच्छी मांग है. हम यहां तरह-तरह के पटाखे बनाते हैं.’ सुजाता बचपन से ही यह काम कर रही है.पटाखा बनाने के काम में जुड़ी बर्नाली कहती है कि ‘पटाखे हमारी रोजी-रोटी का जरिया हैं. हम पूरे साल दीवाली का इंतजार करते हैं और इसके लिए तरह-तरह के पटाखे बनाते हैं. वह बताती है कि हर साल पटाखों की डिजाइन बदल दी जाती है. लोग हर बार कुछ नया चाहते हैं.’ इसी गांव की सादिया कहती है कि ‘यह पटाखों का गांव है. हमारी पूरी जिंदगी ही पटाखों से जुड़ी है.’
गांव में पटाखों के धंधे से जुड़े बासुदेव दास कहते हैं कि ‘यहां बनी चकरी और रॉकेट की दूसरे शहरों में काफी मांग है.’ वे बताते हैं कि गांव की बुजुर्ग महिलाएं पटाखे बनाने की कला युवतियों को सिखाती हैं.कुछ साल पहले राज्य में तेज आवाज वाले पटाखों पर पाबंदी लगने के बाद इस गांव को कुछ नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन अब इन महिलाओं ने कम आवाज और रंग-बिरंगी रोशनियों वाली फूलझड़ियां बनाना सीख लिया है. गांव के ही देवप्रिय दास कहते हैं कि यहां बनने वाले पटाखों की क्वालिटी बेहतर होने की वजह से ही इनकी काफी मांग है.

1 comment:

  1. अच्छा जानकारीपूर्ण आलेख.

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    सादर

    -समीर लाल 'समीर'

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