Monday, September 7, 2009

बुद्धदेव के एक सपने पर पानी फिरा


जमीन अधिग्रहण पर लगातार उभरने वाले विवादों के चलते पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की ड्रीम परियोजनाओं पर धीरे-धीरे पानी फिरने लगा है। सरकार ने सोमवार को कोलकाता से सटे राजरहाट में सूचना तकनीक (आईटी) हब बनाने की महात्वाकांक्षी परियोजना रद्द कर दी है। सौलह सौ एकड़ में बनने वाली इस परियोजना का शुमार बुद्धदेव की सबसे पसंदीदा परियोजनाओं में होता था। लेकिन अब उसी पर पानी फिर गया है।
सरकार ने साथ ही सूचना तकनीक क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियों- इंफोसिस और विप्रो को भी सूचित कर दिया है कि उनको इस परियोजना के लिए कोई जमीन नहीं दी जाएगी। बीते साल बंगाल सरकार ने इंफोसिस और विप्रो के साथ अलग-अलग सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उसके तहत दोनों कंपनियों को इस हब में 90-90 एकड़ जमीन दी जानी थी।
प्रस्तावित सूचना तकनीक उपनगरी एक लग्जरी रिसोर्ट वैदिक विलेज के पास बनने वाली थी। लेकिन 23 अगस्त को हुए विरोधा प्रदर्शन और आगजनी के बाद भू माफिया और रिसोर्ट प्रबंधन में सांठगांठ के आरोप उठने लगे थे। उसके बाद से ही आवासन, भू-राजस्व, सार्वजनिक निर्माण वित्राग और शहरी विकास मंत्रालय उक्त परियोजना को रद्द करने की बात कर रहे थे।
सिंगुर और नंदीग्राम में हुए विरोध के बाद अब इस हब में वैदिक विलेज के भूमिका को लेकर काफी सवाल उठ रहे थें। भू-राजस्व मंत्री अब्दुर रज्जाक मोल्ला ने तो सीधे इस परियोजना को रद्द करने की मांग की थी।
यह हालत तब है जब कोई महीने भर पहले ही राज्य के सूचना तकनीक मंत्री देवेश दास ने कहा था कि सरकार ने विप्रो और इंफोसिस के लिए प्रस्तावित टाउनशिप में जमीन का अधिग्रहण किया है। यहां जानकारों का कहना है कि परियोजना रद्द होने के बाद संभावित निवेश और इससे पैदा होने वाली तीन लाख नौकरियों की वजह से राज्य को लगभग दस हजार करोड़ रुपए के निवेश का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी इसकी पुष्टि करते हुए बताते हैं कि इस परियोजना के रद्द होने से बंगाल दस हजार करोड़ के निवेश और तीन लाख नौकरियों से वंचित रह सकता है। अधिकारी ने कहा कि अगर इंफोसिस और विप्रो टाउनशिप में अपनी परियोजनाएं लगाने में कामयाब रहतीं तो उसके बाद आईसीआईसीआई बैंक और आईटीसी इंफोटेक के भी यहां पहुंचने की संभावना थी।
सोलह हजार एकड़ के टाउनशिप में आईटी और आईटी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों को छह सौ एकड़ जमीन मुहैया कराई जानी थी। इंफोसिस और विप्रो दोनों ने ऐलान किया था कि वैदिक विलेज टाउनशिप में शुरू में दोनों कंपनियां पांच हजार लोगों को रोजगार मुहैया कराएंगी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि दोनों कंपनियों ने सरकार को बताया था कि आगे चल कर उनके जरिये इस टाउनशिप में कम से कम 40 हजार रोजगार पैदा होंगे। लेकिन अब इस सपने पर पानी फिर गया है।

No comments:

Post a Comment