Tuesday, April 26, 2011

बंगाल चुनाव में ओबामा !


पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच भला क्या संबंध है? इसका जवाब है कुछ नहीं. ओबामा तो कभी बंगाल के दौरे पर भी नहीं आए हैं. वीकलीक्स के ताजे खुलासे में भले ममता के अमेरिका के लिए बेहतर साबित होने की बात कही गई हो, ओबामा यहां तृणमूल के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं चाहते हुए भी हजारों मील दूर कोलकाता में दिलचस्प चर्चा का मुद्दा बन गए हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस का एक उम्मीदवार ओबामा के सहारे चुनाव प्रचार कर रहा है. कोलकाता की टालीगंज विधानसभा सीट के तृणमूल उम्मीदवार अरूप विश्वास अपने चुनाव अभियान के दौरान इस बात का जम कर प्रचार कर रहे हैं कि पिछले साल दुर्गापूजा के दौरान उन्होंने पर्यावरण पर मंडराते खतरों को उजागर करते हुए जो थीम रखी थी उसकी प्रशंसा ओबामा ने भी की है. इस सीट पर मतदान 27 अप्रैल को होना है.
विश्वास महानगर के अलीपुर इलाके की सुरुचि संघ आयोजन समिति के प्रमुख हैं. इस क्लब ने पिछले साल बारिश के पानी के संरक्षण (रेन वाटर हारवेस्टिंग) की थीम पर दुर्पापूजा आयोजित की थी. विश्वास विधायक के तौर पर अपने पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए जो परचा बांट रहे हैं, उसमें ओबामा की ओर से लिखे गए प्रशंसा पत्र की बात मोटे अक्षरों में लाल स्याही से छपी है. विश्वास ने पर्यावरण की थीम की जानकारी देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति को जो पत्र लिखा था उसी के जवाब में ओबामा ने यह पत्र भेजा था.
विश्वास कहते हैं, ‘हमने पूजा की थीम के बारे में और बाद में इसके सफल आयोजन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए ओबामा को दो पत्र लिखे थे. उसके जवाब में उन्होंने एक निजी पत्र भेजा था.’ वह कहते हैं कि यह मेरी उपलब्धियों में से एक है.
लेकिन सीपीएम इसे हास्यापास्द करार दे रही है. वैसे, सीपीएण के तमाम नेता पहले ही कह चुके हैं कि अमेरिका यहां लेफ्ट फ्रंट को सत्ता से हटाने के लिए तृणमूल कांग्रेस-कांग्रेस गठजोड़ की सहायता कर रहा है. सीपीएम के उम्मीदवार पार्थ प्रतिम विश्वास सवाल करते हैं, ‘आखिर दुर्गापूजा के बारे में ओबामा के पत्र का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए कैसे किया जा सकता है? इससे साफ है कि विपक्ष मानसिक तौर पर दिवालिया हो चुका है.’
लेकिन अरूप विश्वास इससे परेशान नहीं हैं. वह कहते हैं, ‘हम इलाके में हरियाली फैलाने की दिशा में कई ठोस योजनाएं शुरू करेंगे. इसके अलावा पर्यावरण पर बढ़ते खतरों के बारे में भी लोगों को आगाह किया जाएगा.’ पर्यावरण को बचाने के लिए वह प्लास्टिक पर पाबंदी लगा कर जूट और मिट्टी के बने थैलों और कपों को बढ़ावा देना चाहते हैं. विश्वास कहते हैं कि इस कानून के चलते बेरोजगार होने वाले प्लास्टिक निर्माण उद्योग से जुड़े लोगों को वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराया जाएगा.
प्रभाकर,कोलकाता

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