ममता तो सोनागाछी की वेश्या की तरह बड़ा ग्राहक मिलने पर छोटे को छोड़ देती हैं, तृणमूल कांग्रेस को अमेरिका से काला धन मिला है चुनाव लड़ने के लिए, ममता नाचते हुए भाषण देती हैं, पैरों में हवाई और प्रचार के लिए हेलीकाप्टर, यह तो जबरदस्त विरोधाभास है, माकपा नेता गौतम देव ने फ्लैट बेच कर करोड़ों की रिश्वत कमाई है उनको कमर में रस्सी बांध कर घूमाया जाना चाहिए, पश्चिम बंगाल देश का सबसे बदतर शासित राज्य है, सरकार ने बंगाल को कत्लगाह बना दिया है---यह बानगी है पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा और तृणमूल कांग्रेस की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ लग रहे आरोपों की. बदलाव की कथित हवा के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान में सचमुच बदलाव नजर आ रहा है. इस दौरान सत्ता के दोनों प्रमुख दावेदारों यानी वाममोर्चा और तृणमूल कांग्रेस-कांग्रेस गठबंधन ने एक-दूसरे पर निजी हमलों और अशालीन व कटु टिप्पणियों का जो दौर शुरू किया है उससे बेशर्मी और बेहयाई की तमाम हदें टूट गईं है. दोनों दलों के नेताओँ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर ऐसे स्तर पर पहुंच गया है जिससे सड़क छाप गुंडे-मवाली भी शर्मा सकते हैं. कुछ नेता अपने विरोधियों के चरित्र हनन में इस कदर डूबे हैं कि उनको भाषा की गरिमा का भी ख्याल नहीं रहा. माकपा के एक पूर्व सांसद ने तो तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की तुलना सोनागाछी की वेश्या से कर सारी हदें तोड़ दी हैं.
पहले भी चुनाव में दोनों दलों के नेता अपने विरोधियों के खिलाफ तमाम आरोप तो लगाते थे. लेकिन उनकी भाषा संयत रहती थी. लेकिन इस बार यही नेता आप से तुम पर उतर आए हैं. इनके बीच तू-तू,मैं-मैं का जो दौर शुरू हुआ है वह आम वोटरों की कल्पना से परे है. दोनों पक्ष एक-दूसरे पर चुनाव प्रचार में काले धन के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं. मौजूदा चुनाव अभियान के दौरान इसकी शुरूआत माकपा नेता और आवासन मंत्री गौतम देव ने की. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर चुनाव अभियान के दौरान अपने उम्मीदवारों को 34 करोड़ का काला धन बांटने का आरोप लगाया. बाद में यह भी जोड़ा कि यह पैसा अमेरिका से मिला है. इसके जवाब में तृणमूल के नेताओं ने कहा कि गौतम देव ने चुनावों के एलान के बाद भी महानगर से सटे राजारहाट में फ्लैटों की अवैध बिक्री से लगभग दो सौ करोड़ रुपए कमाए हैं और वही पैसा चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जा रहा है. तृणमूल ने कहा कि इस मामले में देव को गिरफ्तार कर उनकी कमर में रस्सी बांध कर उनको सड़कों पर घूमाना चाहिए.
इसके बाद देव ने फिर जवाबी हमला बोला. उन्होंने कहा कि ममता अपनी चुनावी रैलियों में नाच-नाच कर भाषण देती हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर उन कूपनों को जलाने का आरोप लगाया जिनके जरिए पार्टी ने अपने कथित काले धन को सफेद किया था. लेकिन उन्होंने अपने किसी भी आरोप के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया है. उनका कहना है कि समय आने पर वे सबूत पेश करेंगे. दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने भी गौतम के खिलाफ लगाए आरोपों पर कोई सबूत नहीं पेश किया है. उसकी दलील है कि पहले गौतम सबूत पेश करें, तब वह भी सबूत देगी.
गौतम देव बनाम तृणमूल कांग्रेस के बीच निहायत ओछी छींटाकशी का यह दौर चल ही रहा था कि हुगली जिले के आरामबाग से पूर्व माकपा सांसद अनिल बसु ने सारी हदें तोड़ दीं. उन्होंने कहा कि ममता को देश के विभिन्न हिस्सों से चुनाव खर्च के लिए पैसे मिल रहे थे. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. दरअसल, उनको अमेरिका से इसके लिए पैसा मिल रहा है. बसु का कहना था कि जिस तरह सोनागाछी की वेश्याएं मालदार ग्राहक मिल जाने पर छोटे ग्राहकों को छोड़ देती हैं, ममता ने भी वैसा ही किया है. आखिर किस ग्राहक ने ममता को 34 करोड़ रुपए दिए हैं. बसु की इस टिप्पणी से यहां राजनीतिक हलके में तूफान खड़ा हो गया है. तृणमूल कांग्रेस ने उनके भाषण की सीडी के साथ चुनाव आयोग को शिकायत भेजी है. तृणमूल नेता पार्थ चटर्जी ने इस टिप्पणी के लिए बसु की गिरफ्तारी की मांग की है. दूसरी ओर, बसु की इस टिप्पणी से माकपा नेतृत्व भी सकपका गया. यही वजह है कि प्रदेश सचिव विमान बसु और मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अलग-अलग बयान जारी कर बसु की उक्त टिप्पणी की निंदा की. भट्टाचार्य ने अभद्र भाषा इस्तेमाल करने पर अनिल बसु को कड़ी फटकार लगाते हुए भविष्य में सतर्क रहने को कहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल क्षमा करने लायक नहीं है और एक वामपंथी नेता के नाते यह अनुचित है. भट्टाचार्य ने पार्टी नेतृत्व से इस मामले को गंभीरता से देखने और आवश्यक कदम उठाने को कहा.
भट्टाचार्य की फटकार पर दो दिन बाद बसु ने इस टिप्पणी के लिए माफी मांगने की औपचारिकता निभा ली. वैसे, सात बार सांसद रहे बसु की शालीनता का यह पहला मामला नहीं है.यह माकपा सांसद इससे पहले सिंगुर मामले पर टिप्पणी करते हुए कह चुके हैं कि वे नैनो कारखाने के सामने धरना मंच पर बैठी ममता को बाल पकड़ कर खींचते हुए नीचे उतार सकते थे.
दूसरी ओर, गौतम देव के तेवर जस के तस हैं.बीते सप्ताह एक स्थानीय चैनल पर इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा दिया था कि माकपा समेत हर पार्टी में अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए के एजंट हैं.वे ममता की सादगी और हवाई चप्पलों की खिल्ली उड़ाते हुए कह चुके हैं कि पैरों में हवाई और चुनाव प्रचार के लिए हेलीकाप्टर—इन दोनों के बीच कोई तालमेल नहीं है.
इस सप्ताह चुनाव प्रचार के लिए आए केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने बंगाल को देश का सबसे बदतर शासित राज्य बताते हुए सरकार पर राज्य को कत्लगाह बनाने का आरोप जड़ दिया. इससे तिलमिलाए वामपंथियों ने कहा कि चिदंबरम पहले अपने गिरेबां में झांकें.
यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राज्य में चुनावों के दौरान निजी हमले तो पहले भी होते रहे हैं.लेकिन इस बार यह हमला जिस ओछे स्तर पर शुरू हो गया है वह बेमिसाल है.दरअसल, इस बार दोनों ही दावेदार चुनावी नतीजों को लेकर काफी डरे हुए हैं। एक को सत्ता हाथ से निकलने का डर सता रहा है तो दूसरा यह सोचकर आशंकित है कि इतनी उम्मीदों के बावजूद अगर सत्ता हाथ में नहीं आई तो क्या होगा. ऐसे में निजी हमलों और चरित्रहनने का यह दौर चुनावी नतीजों तक कम होने की बजाय और बढ़ेगा ही.
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